Eknath Shinde : शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे के बागी तेवर अपना लेने के बाद महाराष्ट्र में उद्धव सरकार संकट में घिर गई है। सरकार के अब गिरने का खतरा मंडराने लगा है। शिंदे मंगलवार रात शिवसेना के विधायकों के साथ असम की राजधानी गुवाहाटी पहुंचे। बुधवार सुबह गुवाहाटी एयरपोर्ट पहुंचने पर उन्होंने मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि उनके साथ 40 विधायक हैं और वह बाला साहेब के हिंदुत्व को आगे बढ़ाएंगे। शिंदे ने विधायकों के हस्ताक्षर वाला एक पत्र महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भेजा है। महाराष्ट्र की राजनीति में आज का दिन काफी अहम रहने वाला है। सीएम उद्धव ठाकरे ने दिन के एक बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई है।
दल-बदल कानून से बचने के लिए 37 विधायकों की जरूरत
शिंदे का दावा अगर सही है तो वह दल बदल कानून से बच सकते हैं। इस कानून से बचने के लिए 37 विधायकों की जरूरत है। बागी विधायकों को समझाने एवं शिंदे से बातचीत के लिए उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को अपने दो नेताओं को सूरत भेजा और खुद शिंदे से बातचीत की लेकिन कोई बात नहीं बन सकी। शिवसेना के दो नेता मिलिंद नार्वेकर एवं रवि पाठक मंगलवार को सूरत पहुंचे थे। शिंदे की शर्त है कि शिवसेना को कांग्रेस-राकांपा से गठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ सरकार बनानी चाहिए। इस बीच, शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि शिंदे को पता है कि उद्धव ठाकरे भाजपा से अलग क्यों हुए।
भाजपा का साथ क्यों छोड़ा, शिंदे को पता है-राउत
राउत ने कहा, 'हमारे दो लोग सूरत गए। एकनाथ शिंदे से बातचीत हुई। वह हमारे पुराने मित्र हैं...सभी को पता है कि हमने भाजपा का साथ क्यों छोड़ा? शिंदे भी इस बात के गवाह हैं।' एकनाथ के बागी होने के बाद शिवसेना ने उन पर कार्रवाई की है। शिवसेना ने उन्हें विधायक दल के नेता पद से हटा दिया है। उनकी जगह अजय चौधरी को विधायक दल का नेता बनाया गया है। शिवसेना में हुई बगावत के बाद महाविकास अघाड़ी में शामिल कांग्रेस और राकांपा अपने विधायकों की सुरक्षा को लेकर सतर्क हो गए हैं।
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राज्य सरकार अल्पमत में है-पाटिल
महाराष्ट्र के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने मंगलवार को कहा कि राज्यसभा और एमएलसी चुनावों के लिए बीजेपी को निर्दलीय और छोटे राजनीतिक दलों का समर्थन मिला। हमारी जानकारी के अनुसार एकनाथ शिंदे और 35 विधायक जा चुके हैं। इसका मतलब है कि तकनीकी रूप से राज्य सरकार अल्पमत में है लेकिन व्यावहारिक रूप से सरकार को अल्पमत में आने में कुछ समय लगेगा। अभी तक ऐसी कोई स्थिति नहीं है जो अविश्वास प्रस्ताव के लिए विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग करे। 18 जुलाई से विधानसभा का सत्र शुरू होगा और फिर हम इस पर गौर करेंगे।
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