नई दिल्ली : पाकिस्तानी उच्चायोग के भारत में जासूसी गतिविधियों में संलिप्त होने का एक और पुख्ता सबूत मिला है। दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारी भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठानों के बारे में अहम जानकारी हासिल करने के लिए खुफिया एजेंसी के एजेंट को 'लुभाने' की उनकी चाल रंगे हाथ पकड़ी गई है। पाक अधिकारियों की भारतीय खुफिया एजेंट के साथ बैठक और बातचीत के वीडियो एवं ऑडियो टेप हाथ लगे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि पाकिस्तान भारत की सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील जानकारी हासिल करने के लिए किस स्तर तक जा सकता है।
भारत ने दोनों अफसरों को देश छोड़ने के लिए कहा
मामला उजागर होने के बाद भारत सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तान के दोनों अधिकारियों को देश छोड़कर जाने के लिए 24 घंटे का समय दिया है। वहीं, इस कार्रवाई पर पाकिस्तान की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया दी गई है। पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को 'राजनीति से प्रेरित' करार दिया है। यह केस इस बात का जीता-जागता सबूत है कि पाकिस्तान अपने उच्चायोग का भारत में जासूसी के लिए इस्तेमाल करता आ रहा है।
इसी तरह के एक जासूसी मामले का भंडाफोड़ 2016 में भी हुआ था। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और मिलिट्री इंटेलिजिंस ने पिछली बार जासूसी मामले से पर्दा उठाया था।
चार महीने पुराना है यह मामला
जासूसी का यह वीडियो फरवरी माह का यानि चार महीने पुराना है। मिलिट्री इंटेलिजेंस ने अपने एजेंट के जरिए पाकिस्तानी अधिकारियों आबिद हुसैन एवं मुहम्मद ताहिर को यह भरोसा दिलाया कि वह पैसे के बदले भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों के बारे में अहम जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। एक कैफे में भारतीय एजेंट ने पाकिस्तानी अधिकारी को भरोसा दिलाया कि कुछ ऐसे लोग हैं जो पैसे के बदले भारतीय सेना की गतिविधि के बारे में जानकारी देने के लिए तैयार हैं।
उच्चायोग के वीजा विभाग में कार्यरत हैं दोनों अधिकारी
इसके बाद चार महीने के बाद 31 मई को पाकिस्तान के इन दोनों अधिकारियों को रंगे हाथ पकड़ा गया। देश में जासूसी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर पाक के दोनों अधिकारियों को पर्सोना नान ग्राटा घोषित कर दिया गया है। यानि कि अब इन्हें भारत में ठहरने की अनुमति नहीं होगी। ये दोनों अधिकारी उच्चायोग में वीजा विभाग में कार्यरत हैं। वहीं, पाकिस्तान का कहना है कि मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भारत इस तरह की चीजें सामने ला रहा है।
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