नई दिल्ली: देश आजाद हुए 74 साल हो गए, लेकिन अभी भी गांवों में पंच पटेलों के तुगलकी फरमान चलते हैं। इन पंच पटेलों से आज भी लोग दबे हुए हैं। ऐसा ही एक मामला जालोर के आहोर तहसील के पावटा गांव का सामने आया हैं जहां के लोगों ने मृत्युभोज का विरोध किया तो पूरे गांव के 250 घरों को ही समाज से बहिष्कृत कर दिया गया।
समाज से बहिष्कृत इस गांव के लोग पुलिस और प्रशासन के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन न तो पंचों के खिलाफ कार्यवाही हुई और न ही उनकी सुनवाई हो रही है।
मामला इस प्रकार है कि आहोर तहसील के नया खेड़ा गांव निवासी नरसाराम मेघवाल आज से करीब 30 साल पहले लापता हो गया था। जिसका आज तक कोई अता पता नहीं है। नरसाराम की पत्नी की गत महीनों मृत्यु हो गई थी। इस पर नरसाराम के पुत्र अचलाराम ने उसकी मां की अस्थियों को पुष्कर ले जाने की मंशा जताई। जिस पर मेघवाल समाज के पंचों ने यह कहा कि उसके पिता नरसाराम का 30 सालों से कोई अता पता नहीं है, तो सबसे पहले उसके पिता नरसाराम का मृत्यु भोज करना होगा। इसके बाद ही उसकी मां की अस्थियों को पुष्कर ले जा सकेगा। इस पर अचलाराम ने अपने गुमशुदा पिता का मृत्यु भोज किया तथा उसके बाद उसकी मां की अस्थियों को पुष्कर लेकर गए। इतना ही नहीं पुष्कर से आने के बाद दोनों बेटों को दोबारा उसकी मां का मृत्यु भोज करना पड़ा।
गुमशुदा नरसाराम मेघवाल का मृत्यु भोज करवाने की बात को लेकर जब पावटा गांव के लोगों ने विरोध किया तो पंचों ने पावटा गांव के 250 मेघवाल समाज के घरों को समाज से बहिष्कृत कर दिया। पिछले 9 महीनों से इस गांव के मेघवाल समाज के लोग समाज से बहिष्कृत है।
लापता नरसाराम के दो पुत्र है। अचलाराम व चंपाराम। अचलाराम जैसे-तैसे मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है, जबकि चंपाराम का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। फिर भी पंचों ने लाखों रूपए खर्च करवाकर गुमशुदा पिता और मां की मृत्यु पर दो बार मृत्यु भोज करवा दिया।
पावटा गांव के मेघवाल समाज के 250 घरों को समाज से बहिष्कृत कर रखा है। ऐसे में इस गांव की बहन बेटियां उनके परिवार के किसी शादी या त्यौहार पर गांव नहीं आ सकती है। समाज से बहिष्कृत होने के कारण उनके रिश्तेदार भी इस गांव में नहीं आते हैं।
पावटा गांव के नारायणलाल, रकबाराम, शांतिलाल, सोमाराम, गेनाराम, थानाराम समेत अन्य ग्रामीणों ने मंगलवार को दोबारा एसपी के समक्ष उपस्थित होकर मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन दिया। जिसमें बताया कि पंचों के खिलाफ 17 जुलाई 2021 को पंचों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था, लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि 7 दिन में कार्यवाही नहीं हुई तो पावटा गांव के सभी मेघवाल समाज के लोग आमरण अनशन पर बैठेंगे जिसकी जिम्मेदारी पुलिस व प्रशासन की होगी।
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