नई दिल्ली: सीमा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच फिर झड़प की खबर सामने आ रही है। इस संबंध में आर्मी ने एक बयान जारी किया है जिसके मुताबिक PLA के सैनिकों ने पहली बनी सहमति का उल्लंघन करते हुए पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश की। भारतीय सेना ने पैंगों और त्सो झील एरिया में चीनी सैनिकों को घुसने से रोका है। पैंगोग सो के दक्षिणी छोर पर यह घटना हुई है। खबरों के मुताबिक चीनी सैनिकों ने भारतीय इलाके में घुसने की कोशिश की थी लेकिन बड़ी संख्या में मौजदू भारतीय सैनिकों ने उन्हें खदेड़ दिया।
रक्षा मंत्रालय ने जारी किया बयान
रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा, 'पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के बीच 29/30 अगस्त 2020 की मध्यरात्रि में पीएलए सैनिकों ने सैन्य एवं राजनयिक वार्ताओं के दौरान बनी पिछली आम सहमति का उल्लंघन किया और उकसाऊ सैन्य कदम उठाते हुए सीमा पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की। हालांकि, सतर्क भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग त्सो लेक के दक्षिणी छोर पर पीएलए सैनिकों की इस उकसाऊ कोशिश को पूरी तरह से नाकाम कर दिया।'
रक्षा मंत्रालय के बयान में आगे कहा गया है, 'हमारी सैन्य स्थिति को सुदृढ़ करने एवं सरहद पर यथास्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने के चीनी मंसूबों को विफल करने के लिए ठोस कदम उठाए। भारतीय सेना संवाद के जरिए शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसके साथ ही अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए भी समान रूप से दृढ़प्रतिज्ञ है। मुद्दों को सुलझाने के लिए चुशुल में ब्रिगेड कमांडर स्तर की फ्लैग मीटिंग प्रगति पर है। '
भारतीय रक्षा मंत्रालय के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी करते हुए कहा है, 'चीनी सैनिकों ने कभी वास्तिवक नियंत्र रेखा को नहीं लांघा है। जमीनों हालत को लेकर दोनों पक्ष लगातार बाततीत कर रहे हैं।'
सीडीएस रावत और विदेश मंत्री ने दिया था बड़ा बयान
इससे पहले लद्दाख की स्थिति को गंभीर बताते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि लद्दाख की स्थिति 1962 के संघर्ष के बाद ‘सबसे गंभीर’ है। उन्होंने कहा था कि दोनों पक्षों की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अभी तैनात सुरक्षा बलों की संख्या भी ‘अभूतपूर्व’ है। वहीं सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि चीनी सेना द्वारा किए गए बदलाव से निपटने के लिए यदि बातचीत विफल होती है तो फिर सैन्य विकल्प मौजूद हैं।
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