Frankly Speaking With Ghulam Nabi Azad: हाल ही में कांग्रेस छोड़ने वाले दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद से टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार ने खास बातचीत की। उनसे तीखे सवाल किए गए। नई पार्टी के ऐलान से पहले आजाद ने बड़ा खुलासा किया। आजाद से सुनिए, उन्होंने कांग्रेस क्यों छोड़ी ? क्या गुलाम नबी आजाद ने 'मोदी प्रेम' की कीमत चुकाई ? 2024 की रणनीति..'आजाद' बदला लेंगे..क्या करेंगे? उन्होंने कई सवालों का बेबाकी से जवाब दिए।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मैं महात्मा गांधी से प्रभावित था। कांग्रेस में हर पद पर रहा। राजीव जी सरकार और पार्टी दोनों चलाते थे। नरसिम्हा राव को संगठन में रूचि नहीं थी। लेकिन सफल प्रधानमंत्रियों में से एक थे। पार्टी स्तर पर वे सफल नहीं थे। राजीव जी के बाद से ही पार्टी में गिरावट आने लगी थी। राव और सीता राम केसरी के समय में हम प्रश्न उठाते थे। हर वर्किंग कमिटी में सवाल उठाते थे। सोनिया जी का हम पर भरोसा था। कांग्रेस में दिक्कत 2014 के बात शु्रू हुई। राहुल गांधी के उपाध्यक्ष बनने के बाद से सलाह लेना कम हो गई। जी20 के नेताओं की सलाह नहीं मानी। सीनियर नेता को अपमानित किया गया। दो साल से हमारे पास काम नहीं थे चुप बैठे थे।
गुलाम नबी ने कहा कि राहुल दो साल से अधितकर नेताओं से नहीं मिलते थे। लेटर लिखने के बाद हमे बीजेपी समर्थक बता दिया गया। उन्हें सोचना चाहिए था कि उसके माता पिता के साथ काम किया था। हालांकि राहुल गांधी दिल के साफ नेता है। व्यक्तिगत तौर पर वह हमारी इज्जत करते हैं। सिंधिया, जितिन प्रसाद, सुसमिता देव, हार्दिक पटेल, शेरगिल समेत कई नेता भाग गए। इनका क्या कसूर था। राहुल गांधी के चुने हुए प्रवक्ता भी कांग्रेस छोड़कर भाग गए। राहुल गांधी की टीम इधर उधर भाग गई। हमने कांग्रसे को मजबूत करने के लिए चिट्ठी लिखी थी। हमने आतंकवादियों की प्रवाह नहीं की। मैंने बतौर महासचिव 8 में से 7 चुनाव जितवाए। सोनिया जी ने जैसा कहा वैसा मैंने किया। किसी पर आरोप लगाना आसान होता है। आरोप लगाने के लिए दिमाग चाहिए।
उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी नहीं मिलत थे। जिस दिन लेटर लिखा उसी दिन से कांग्रेस की लीडरशिप ने हमें दिल से निकाला। हम कांग्रेस की मजबूती चाहते थे। इसलिए चिट्ठी लिखी। मैंने कभी राज्यसभा सीट नहीं मांगी। सोनिया ने मिलने के लिए बुलाया, मैंने सोनिया के सामने 40 मिनट तक बोला। जब चिट्ठी लिखी थी तब मैं विपक्ष का नेता था। मैं राजीव गांधी, सोनिया गांधी के कार्यकाल समेत 40 साल तक स्टार कैंपेनर था। उसके बाद निकाल दिया गया। हमको बाहर रखने से बंगाल, असम, केरल हार गए। मैं पूरे देश में कांग्रेसियों को जानता हूं। दूसरी पार्टियों के नेताओं को जानता हूं। राहुल गांधी पूरी तरह से सेक्युलर हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। उन्हें 60 से अधिक उम्र के नेता नहीं चाहिए। वे उनकी नहीं सुनते हैं। कांग्रेस को मेरी जरूरत नहीं थी इसलिए पार्टी छोड़ दी। कांग्रेस वर्किंग कमिटी के चुनाव 25 साल से नहीं हुए। राहुल गांधी को जी हूजूरी करने वाले पसंद हैं। कांग्रेस को फूल टाइम पार्टी अध्यक्ष की जरूरत है। गांधी पारिवार से हटकर अध्यक्ष चुनने की जरूरत है। मैं किसी पार्टी के साथ नहीं, न किसी पार्टी के साथ जाने की जरूरत नहीं है। जयराम रमेश का डीएनए 10-15 पार्टी का है।
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