Glacier burst :आंखों में उम्मीद लिए अपनों का इंतजार कर रहे परिजन, अब तक 29 शव मिले

Glacier burst in Uttarakhand: रविवार को आई विनाशकारी बाढ़ सुरंग में गाद और मलबा छोड़ गई है जिसे साफ किया जा रहा है। सुरंग में पिछले 36 घंटे से करीब 35 कर्मचारी फंसे हैं जिन्हें निकालने का काम किया जा रहा है।

 Glacier burst : Families sitting outside tunnel hope for best rescue operation continues
आंखों में उम्मीद लिए अपनों का इंतजार कर रहे परिजन। 
मुख्य बातें
  • अब तक 28 लोगों के शव मिले, रविवार को आई थी विनाशकारी बाढ़
  • सुरंग में करीब अभी 35 लोगों के फंसे, 171 लोग अभी भी लापता हैं
  • आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना की संयुक्त टीम चला रहा अभियान

रैणी गांव (चमोली) : उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक आई विकराल बाढ़ के बाद तपोवन में एक बड़ी सुरंग के भीतर फंसे 34 लोगों को बचाने के लिए एजेंसियां जुटी हुई हैं। त्रासदी से एनटीपीसी की इस परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है। सुरंग के भीतर फंसे कर्मियों के परिजनों की हालत बुरी है। परिजन घटनास्थल पर मौजूद हैं और वे लगातार उनके सुरक्षित होने की प्रार्थना कर रहे हैं। सबकी यही कामना है कि उनके लोग सुरंग से सुरक्षित बाहर निकल आएं। इस त्रासदी में मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 29 हो गई है।

सुरंग से निकाला जा रहा गाद और मलबा
रविवार को आई विनाशकारी बाढ़ सुरंग में गाद और मलबा छोड़ गई है जिसे साफ किया जा रहा है। सुरंग में पिछले 36 घंटे से करीब 35 कर्मचारी फंसे हैं जिन्हें निकालने का काम किया जा रहा है। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक इसी सुरंग के पास ठिठुराने वाली ठंड में 58 साल पाल चंद बैठे हैं। वह रुक-रुककर 950 मीटर लंबी सुरंग को देखते रहते हैं। आटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की संयुक्त टीम आंखों में उम्मीद और ओठों पर मुस्कान लिए इस सुरंग में आगे बढ़ने के लिए दिन-रात एक किए है। 

पिता को उम्मीद बेटा सुरक्षित बाहर निकलेगा
चांद को उम्मीद है कि सुरंग से गाद और मलबा जल्द साफ होगा और उनका बेटा विनीत सैनी उससे सुरक्षित वापस निकलेगा। विनीत एनटीपीसी में इंजीनियर है। वह भी अन्य लोगों के साथ सुरंग में फंसा हुआ है। पाल ने बताया कि उन्होंने जैसे ही इस त्रासदी की खबर सुनी वह अमरोहा से यहां आए। उन्होंने कहा, 'बीतते हर मिनट के साथ मेरा हृदय डूब रहा है लेकिन मुझे उम्मीद है कि मेरा बेटा सुरक्षित वापस आएगा।' इतना कहते ही उनकी आंख में आंसू आ गए।

'सब कुछ सेकेंडों में हो गया'
हाइड्रोपावर कंपनी में ड्राइवर का काम करने वाले प्रदीप शाह ने सुरंग में कर्मचारियों एवं इंजीनियरों की फंसने की घटना को याद करते हुए बताया, 'सब कुछ सेकेंड में हो गया। मैं निर्माणस्थल के ऊपरी भाग पर खड़ा था तभी मैंने पीछे से पानी की विशाल लहर को देखा। मैं चिल्लाया और जोर से सीटी बजाई लेकिन सेकेंडों में करीब 13 कर्मचारी और इंजीनियर बाढ़ का शिकार बन गए। ये सभी सुरंग के चार दरवाजों में से एक में समा गए।'

लोग चिल्ला रहे थे-'साइट जल्दी खाली करो'
रिपोर्ट के मुताबिक कर्मचारी विनोद कुमार का कहना है कि विनाशकारी बाढ़ जब आई तो उस समय कुछ कर्मचारी बाहर खड़े थे। ये बाल-बाल बच गए। विनोद ने कहा, 'मैं अपना काम कर रहा था तभी मैंने किसी को चिल्लाने की आवाज सुनी। कोई कह रहा था-साइट खाली कर जल्दी। मैंने तत्काल अपना बचाव किया। इसी दौरान पीछे से कुछ पत्थर आकर मुझे लगे। मैं पीछे देख नहीं सका। यह ईश्वर की कृपा ही थी कि मैं बाल-बाल बच गया।'

सुरंग में फंसे कर्मचारियों और इंजीनियरों को निकालने का काम जोरों पर है। इस बीच, परिजनों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि उनके लोग सुरंग से सुरक्षित बाहर निकल आएंगे। प्रोजेक्ट साइट पर सुपरवाइजर का काम करने वाले पदमिंदर बिश्ट की बहन सती बिश्ट ने कहा, 'जैसे ही मुझे इस त्रासदी के बारे में जानकारी हुई, मैं पीपलकोटी से यहां आई। मैं यहां तब तक रहूंगी जब तक कि मैं अपने भाई को नहीं देख लेती।'

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