Gyanvapi mosque case : वाराणसी की जिला अदालत को ओर से ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे की रिपोर्ट हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को सौंप दी गई है। अब सर्वे के वीडियो एवं तस्वीरें सामने आ रही हैं। साक्ष्यों के सामने आने पर हिंदू पक्ष उत्साहित है। हिंदू पक्ष का कहना है कि मंदिर को लेकर उसके सभी दावे सही साबित हुए हैं। ज्ञानवापी मस्जिद में जिस आकृति को मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है, दरअसल वह शिवलिंग है। वीडियो में कई सारे ऐसे चिन्ह मिले हैं जो हिंदू मंदिरों में पाए जाते हैं। सर्वे रिपोर्ट पर हिंदू पक्षकारों ने टाइम्स नाउ नवभारत से खास बातचीत की है।
साक्ष्यों ने हमारे दावों की पुष्टि की-अश्विनी उपाध्याय
सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा, 'हम जो बात कह रहे थे वीडियो ने उसकी पुष्टि कर दी है। हम हमेशा से कहते आ रहे हैं कि ज्ञानवापी मंदिर है, वहां शिवलिंग है। मंदिर की दीवार, छत, शिखर तोड़ने या नमाज पढ़ने से मंदिर के चरित्र में बदलाव नहीं हो जाता। मंदिर हमेशा मंदिर ही रहेगा। वास्तव में मुस्लिम पक्ष मंदिर में बैठकर नमाज पढ़ रहा है। भगवान महादेव के सामने बैठकर नमाज पढ़ रहा है। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट ज्ञानवापी मामले में लागू नहीं होता। यह 1947 में भी मंदिर था और इस समय भी मंदिर है।'
हिंदू मंदिर तोड़कर मस्जिद का स्वरूप देने की कोशिश हुई-विष्णु जैन
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा कि जिस दिन सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी गई उसी दिन हमें यकीन हो गया था कि हमारे दावे सही साबित होने जा रहे हैं। हमने कहा था कि ज्ञानवापी में हिंदू देवी-देविताओं के चिन्ह मौजूद हैं। इसलिए हमने पूजा के अधिकार देने की मांग की। वे सारे चिन्ह और प्रतीक सबके सामने आ गए हैं। एक हिंदू मंदिर को तोड़कर मस्जिद का स्वरूप देने की कोशिश की गई। हमने कोर्ट को जो वस्तुस्थिति बताई है, उससे साक्ष्य बिल्कुल मिल रहे हैं। जिस शिवलिंग को मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है और वह अगर फव्वारा है तो उसे वह चलाकर दिखाए।
'वहां कथित नहीं केवल शिवलिंग है-हरिशंकर जैन
हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि 'वहां कथित नहीं केवल शिवलिंग है। जो भी हिंदू भगवान शिव की पूजा करता है, वह देखते ही बता देगा कि यह शिवलिंग है। यहां शिवलिंग को जिस तरह से नुकसान और आघात पहुंचाया गया है, वह शोचनीय विषय है। इस पर जो भी न्यायिक ढंग से उचित कार्रवाई होगी हम करेंगे। ज्ञानवापी के अंदर त्रिशूल, स्वास्तिक, संस्कृत के श्लोक और आले हैं। गुंबद के नीचे हिंदू गुंबद है। शिखर से लेकर पाताल तक हिंदू मंदिर के एक नहीं पचास से ज्यादा चिन्ह हैं। मैं सर्वे में शामिल था। यह पूरा परिसर हिंदू मंदिर था। वह आज भी मंदिर है। मंदिर कभी मस्जिद नहीं हो सकता।'
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