लखनऊ। हाथरस कांड की जांच अब सीबीआई के हवाले हो चुकी है। सीबीआई की एक टीम मंगलवार को मौका-ए-वारदात पर पीड़िता के भाई के साथ पहुंची और मुआएना किया। इन सबके बीच पीएफआई यानी पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के चार लोगों पूछताछ के लिए ईडी टीम मथुरा पहुंच चुकी है। दरअसल जांच एजेंसियों का कहना है कि जिस दिन पीड़िता की मौत हुई उसी दिन हाथरस विक्टिम के नाम पर साइट बनाई गई और माहौल को खराब करने की कोशिश की गई। यही नहीं पीएफआई वित्तीय मदद के जरिए इस मामले को और सुलगाए रखना चाहती थी।
पीएफआई के सदस्य इसलिए घेरे में आए
पुलिस प्रशासन का कहना है कि समय रहते जानकारी मिली और जब एक्शन लिया गया तो वो वेबसाइट बंद कर दी गई। यही नहीं पीड़िता के अंतिम संस्कार के बाद अलग अलग जगहों से ट्वीट किए गए और ज्यादातर ट्वीट का केंद्र देश के बाहर था। इसका अर्थ यह है कि जानबूझकर इसे मुद्दा बनाया जा रहा था और प्रदेश में जातीय तनाव को चरम पर पहुंचाने की मंशा थी।
हाथरस केस की जांच कई चक्र में
एसआईटी जब इस मुद्दे की जांच कर रही थी तो उसकी प्राथमिक रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि 29 सितंबर के बाद प्रदेश में सुनियोजित तरह से तनाव फैलाने की साजिश रची जा रही थी। स्थानीय लोगों से पूछताछ में पता चलता है कि आरोपी और पीड़ित परिवार के बीच मननुटाव जरूर था। लेकिन कोई घटना पिछले चार या पांच साल में नहीं हुई थी जिसके बाद तनाव और बढ़ गया हो। बता दें कि जब इस मामले की जांच और आगे बढ़ी तो हाथरस विक्टिम के नाम पर जो साइट बनी उसे बंद कर दिया गया और पीएफआई के लोगों पर शक गहराता गया।
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