राजस्थान में सियासी संकट गहरा हुआ है। पार्टी में अभी भी अनिर्णय की स्थिति बनी हुई। विरोध कर रहे सभी विधायकों पर पार्टी की नजर है और बगावत कर रहे विधायकों को पार्टीलाइन पर लाने की कोशिशें तेज हो गई है। इसके लिए कांग्रेस के दोनों पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन अभी भी जयपुर में ही है। पार्टी की तरफ से भी सभी विधायकों और मंत्रियों को जयपुर में ही रहने का संदेश दिया गया है। सचिन पायलट भी जयपुर में जमे हुए हैं। राजस्थान के नए मुख्यमंत्री को लेकर आलाकमान पर फैसला छोड़ने का एक लाइन का प्रस्ताव लेकर अब से कुछ देर बाद दोनों पर्यवेक्षक जयपुर से दिल्ली लौटेंगे और आलाकमान को राजस्थान कांग्रेस में गतिरोध पर रिपोर्ट सौपेंगे।
गहलोत बनाम पायलट की जंग अब दिल्ली दरबार में पहुंच गई है और पार्टी में अंदरूनी गतिरोध से आलाकमान नाराज बताया जा रहा है। कांग्रेस के दोनों पर्यवेक्षक आज राजस्थान से दिल्ली लौटेंगे और आलाकमान को राजस्थान कांग्रेस में गतिरोध पर रिपोर्ट सौपेंगे। जबकि सचिन पायलट को फिलहाल राजस्थान में ही रहने के लिए कहा गया है। हाईकमान से चर्चा के बाद ही आगे की रणनीति तय की जाएगी। दरअसल सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की कोशिश के बीच नाराज गहलोत गुट के विधायकों ने आला कमान के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। कल देर रात तक जयपुर में कांग्रेस में सियासी दांव-पेंच का खेल चलता रहा। आज भी राजनीतिक हलचल तेज रहने के पूरे आसार हैं। क्योंकि नाराज विधायक पार्टी पर्यवेक्षक मलिल्कार्जुन खड़गे और अजय माकन से नहीं मिलना चाहते।
गहलोत खेमा किसी भी कीमत पर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनने देना चाहता। इसीलिए दबाव बनाने के लिए 90 से ज्यादा विधायकों ने स्पीकर को अपने इस्तीफे भी सौंप दिए। आलाकमान के कहने पर रात 12 बजे तक विधायकों को मनाने की कोशिश होती रही लेकिन पर्यवेक्षकों के साथ बैठक में कोई सहमति नहीं बनी।
गहलोत गुट ने सुलह के लिए हाइकमान के सामने अब तीन शर्तें रखीं हैं। नाराज विधायकों ने साफ किया है कि ऐसे नेता को सीएम नहीं बनाया जाना चाहिए जिसने 2020 में बगावत का बिगुल बजाया हो। राजस्थान में कांग्रेस के सियासी संकट के बीच बड़ी खबर। राजस्थान में अगला सीएम कौन होगा, इस पर सबकी निगाहें टिकी है। इसी बीच जोधपुर में सचिन पायलट के पोस्टर और हॉर्डिंग्स लगवाए गए हैं। जिसमें नए युग की तैयारी की बात लिखी गई है। इन पोस्टरों ने सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज कर दी हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले अशोक गहलोत के दांव ने कांग्रेस के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। राजस्थान में सीएम पद के लिए सचिन पायलट की दावेदारी पर राजनीतिक रण छिड़ चुका है। गहलोत समर्थक विधायकों ने अपना इस्तीफा देकर नाराजगी जाहिर की। राजस्थान कांग्रेस में उठे बगावती तेवरों के बाद सवाल इसी बात का है कि आलाकमान अब समाधान कैसे निकालेगा? राजस्थान कांग्रेस की अंदरुनी राजनीतिक अब रण में बदल गई है। गहलोत की जादूगरी ने जयपुर से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस को नये सियासी संकट में डाल दिया। गहलोत ने ऐसी चाल चली की रात 12 बजे तक जयपुर में 'द ग्रेट कांग्रेस ड्रामा' चलता रहा। खेमे बंदी का ऐसा खेल चला कि विधायक दल की बैठक ही नहीं हो पाई।
विधायकों की राय लेने के लिए दिल्ली से पर्यवेक्षक के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन जयपुर पहुंचे थे। दोनों नेता बैठक के लिए इंतजार करते रहे मगर गहलोत गुट के विधायकों ने मंत्री शांति धारीवाल के घर बैठकर नई रणनीति बनाई। इस्तीफा देने वाले तमाम विधायक गहलोत के दिल्ली जाने से ज्यादा सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावनाओं से खफा थे। इसीलिए किसी ने 2020 की बगावत याद दिलाई तो किसी ने संख्याबल का हवाला देकर पायलट को कमान दिए जाने का खुला विरोध किया।
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