लोगों को महंगाई का एक और झटका लगने वाला है। 1 अप्रैल से कई जरूरी दवाओं की कीमतें बढ़ जाएंगी। भारत की ड्रग प्राइसिंग अथॉरिटी ने शेड्यूल दवाओं के लिए कीमतों में 10.7 फीसदी की बढ़ोतरी की अनुमति दे दी है। शेड्यूल दवाइयों का मतलब हुआ वैसी जरूरी दवाइयां जिसकी कीमत सरकार से इजाजत लेकर बढ़ाई जाती हैं। यानी पेट्रोल-डीजल के तगड़े झटके के बाद अब आम लोगों को एक और झटका लगने वाला है।
खाने का तेल, रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल...किस किस की बात करेंगे, जिधर देखिए उधर महंगाई का डोज आम लोगों को पस्त किए हुए है और अब तो दवाइयां भी महंगी होने वाली हैं। अगले महीने से 800 से ज्यादा दवाइयों की कीमतें बढ़ने जा रही हैं। ये उछाल करीब 10 फीसदी तक आ सकता है। जिन दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी उसमें डायबिटीज के इलाज, कैंसर की दवाओं, हेपेटाइटिस, हाई ब्लड प्रेशर, गुर्दे की बीमारी आदि के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एंटीरेट्रोवायरल शामिल हैं।
मिर्गी की दवा- फेनोबार्बिटोन अभी 194.80 की है तो 1 अप्रैल के बाद इसकी संभावित कीमत 214.28 प्रति बॉक्स हो सकती है। बुखार की दवा- Pacimol 650 की 15 टैबलेट अगर अभी 29.36 की है तो 1 अप्रैल से ये 32.26 की हो सकती हैं। एजिथ्रोमाइसिन की कीमत अगर 109.94 है तो 1 अप्रैल से ये 120 रुपए से ज्यादा की हो सकती है। ये सभी दवाइयां शेड्यूल दवाइयों की श्रेणी में आती है यानी जरूरी दवाइयां। इनकी कीमतें दवा कंपनियां खुद नहीं बढ़ा सकतीं बल्कि इन दवाओं की कीमतें बढ़ाने के लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ती हैं। नवंबर 2021 में दवा कंपनियों से सरकार से इन दवाओं की कीमत बढ़ाने की मांग की थी। दलील ये कि इन दवाइयों की कीमतें थोक महंगाई दर के आधार पर बढ़ाई जाएं।
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