नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तुलना तालिबान से करने पर शिवसेना ने गीतकार जावेद अख्तर को जवाब दिया है। अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में शिवसेना ने आरएसएस के साथ तालिबान की मानसिकता की तुलना किए जाने को खारिज किया है। सामना ने लिखा है कि जो लोग ऐसा सोचते हैं उन्हें आत्ममंथन करने की जरूरत है। शिवसेना का कहना है कि चरमपंथ के खिलाफ अख्तर समय-समय पर आवाज उठाते रहे हैं।
आरएसएस के समर्थन में आई शिवसेना
'संघ के साथ मतभेद हो सकते हैं...फिर भी' शीर्षक से लिखे गए संपादकीय में शिवसेना ने कहा है, 'देश की ज्यादातर जनसंख्या धर्मनिरपेक्ष है। यहां लोग एक दूसरे से सम्मान के साथ बर्ताव करते हैं। तालिबान की विचारधारा यहां नहीं पनप सकती। अगर संघ की विचारधारा तालिबानी होती तो तीन तलाक कानून नहीं बनाए जाते और न ही लाखों मुस्लिम महिलाओं को आजादी की किरण दिखती। सामना ने हिंदू राष्ट्र की वकालत करते हुए कहा है कि बहुसंख्यक हिंदुओं को लगातार दबाया न जाए।
संपादकीय में लिखा है, 'अफगानिस्तान का तालिबानी शासन न सिर्फ समाज बल्कि मानव जाति के लिए सबसे बड़ा खतरा है। पाकिस्तान, चीन जैसे कई अन्य देशों ने समर्थन किया है क्योंकि इन देशों में मानवाधिकार, लोकतंत्र, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का कोई मान नहीं है। हिंदुस्तान हर तरह से सहिष्णु देश है।'
जावेद अख्तर ने क्या कहा
एक टेलिविजन कार्यक्रम के साथ बातचीत में गीतकार ने कहा, 'जिस तरह तालिबान एक इस्लामी देश बनाना चाहता है तो ऐसे लोग भी हैं जो हिंदू राष्ट्र चाहते हैं। ये सभी लोग एक जैसी विचारधारा के ही हैं भले ही ये मुसलमान हों, ईसाई हों, यहूदी हों या हिंदू हों। जो लोग बजरंग दल, आरएसएस और वीएचपी जैसे संगठनों का समर्थन करते हैं, वो सब एक तरह के ही हैं।'
भाजपा ने गिरफ्तारी की मांग की
अख्तर के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी भड़क गई। महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष राम कदम ने कहा कि इस बयान के लिए जावेद अख्तर जब तक हाथ जोड़कर देश से माफी नहीं मांगते तब तक उनके और उनके परिवार से जुड़ी कोई भी फिल्म चलने नहीं दी जाएगी। भाजपा नेता ने शिवसेना से पूछा कि वह इस बयान के लिए जावेद अख्तर को गिरफ्तार क्यों नहीं करती।
तालिबान जैसी प्रवृत्ति यहां नहीं बढ़ सकती-राउत
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, 'हमारे देश के किसी भी संगठन या संस्था की तुलना तालिबानियों से करना ठीक नहीं है। भारत एक मजबूत लोकतांत्रिक देश है। तालिबान जैसी प्रवृत्ति यहां नहीं बढ़ सकती। यहां की जनता लड़ने वाली और संघर्ष करने वाली जनता है।'
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