जिग्नेश मेवानी और कन्हैया कुमार 28 सितंबर को कांग्रेस में हो सकते हैं शामिल, क्या है सियासी मायने

देश
ललित राय
Updated Sep 25, 2021 | 16:49 IST

कांग्रेस आलाकमान अब युवा चेहरों के साथ चुनावी समर में उतरना चाहती है। बताया जा रहा है कि जिग्नेश मेवानी और कन्हैया कुमार 28 सितंबर को कांग्रेस पार्टी में शामिल हो सकते हैं।

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जिग्नेश मेवानी- कन्हैया कुमार 28 सितंबर को कांग्रेस में हो सकते हैं शामिल 
मुख्य बातें
  • जिग्नेश मेवानी का गुजरात से संबंध और इस समय निर्दलीय विधायक
  • कन्हैया कुमार का बिहार से संबंध और जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष
  • आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस का युवा चेहरों पर खास नजर

कांग्रेस इस समय मुश्किलों के दौर से गुजर रही है। एक राज्य की समस्या को आलाकमान सुलझाने की कोशिश करता है तो दूसरे राज्य की समस्या सिर पर आ खड़ी होती है। 2022 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और उस क्रम में कांग्रेस कई बड़े फैसलों को जमीन पर उतारने की तैयारी में है जिसमें संगठन पर खास ध्यान देने की कवायद हो रही है। इस संबंध में एएनआई सूत्रों के मुताबिक जिग्नेश मेवानी और कन्हैया कुमार कांग्रेस का हिस्सा हो सकते हैं। इस बात की संभावना है कि दोनों लोग 28 सितंबर को औपचारिक तौर पर कांग्रेस का हिस्सा बनें।

बिहार में कांग्रेस की कन्हैया कुमार पर नजर
अगर बात कन्हैया कुमार की करें तो ये बिहार की राजनीति में कांग्रेस पार्टी इनमें संभावना देख रही है। हाल के दिनों में जिस तरह से कन्हैया कुमार और राहुल गांधी के बीच कई दौर की बातचीत हुई उससे पता चलता है कि कांग्रेस और कन्हैया कुमार को दोनों को लगता है कि वो अपने गोल तक आसानी से पहुंच सकते हैं। कांग्रेस को जहां बिहार में एक जुझारू नेता की जरूरत है जो जमीन पर कांग्रेस का संगठन तैयार कर सके। उसके साथ कन्हैया कुमार को आवश्यकता एक ऐसे प्लेटफार्म की आवश्यकता है जिसका दायरा अखिल भारतीय स्तर पर ज्यादा बड़ा हो।

गुजरात में जिग्नेश मेवानी बड़े दलित चेहरे
2017 में जिग्नेश मेवानी,  हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर की तिकड़ी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में  बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी की थी। लेकिन समय गुजरने के साथ अल्पेश ठाकोर ने बीजेपी का दामन थाम लिया। हालांकि हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवानी ने अपने स्टैंड में किसी तरह का बदलाव नहीं किया। जिग्नेश मेवानी दलित समाज से आते हैं और गुजरात में सात फीसद दलित हैं। 13 सीटें आरक्षित हैं। अगर चुनावी नतीजों की बात करें तो आरक्षित सीटों पर बीजेपी ने शानदात जीत हासिल की थी।कांग्रेस पार्टी को यकीन है कि मेवानी अगर पार्टी का हिस्सा बनते हैं तो बीजेपी को बेहतर तरीके से चुनौती दी जा सकती है।  

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