डिजिटल और सोशल मीडिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पारदीवाला ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जज जुबान से नहीं, जजमेंट से बोलते हैं। डिजिटल और सोशल मीडिया अपनी लक्ष्मण रेखा लांघ रहे हैं ऐसे में इसपर नियंत्रण जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि आप जजमेंट पर सवाल उठाइये लेकिन जज पर नहीं। साथ ही जस्टिस पारदीवाला ने मांग की है कि संसद डिजिटल और सोशल मीडिया पर कानून लाए, चेक एंड बैलेंस होना बहुत जरूरी है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पारदीवाला के पास ही नुपुर शर्मा का केस था।
रविवार को एक वर्चुएल संबोधन के दौरान न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने कहा कि आधी सच्चाई और जानकारी रखने वाले और कानून के शासन, सबूत, न्यायिक प्रक्रिया और सीमाओं को नहीं समझने वाले लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर काबू पा लिया गया है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों पर व्यक्तिगत हमलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अदालतों द्वारा एक परीक्षण किया जाना चाहिए। डिजिटल मीडिया द्वारा ट्रायल न्यायपालिका के लिए अनुचित हस्तक्षेप है। यह लक्ष्मण रेखा को पार कर जाता है और केवल आधे सत्य का पीछा करने पर और अधिक समस्याग्रस्त हो जाता है। संवैधानिक अदालतों ने हमेशा सूचित असहमति और रचनात्मक आलोचना को शालीनता से स्वीकार किया है
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