आतंकी संगठन जेकेएलएफ के चीफ यासीन मलिक को टेरर फंडिंग केस में उम्रकैद की सजा सुनाई है। दो धाराओं में उम्रकैद और चार धाराओं के तहत 10-10 साल की सजा के साथ जुर्माना भी लगाया गया है। बता दें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने यासीन मलिक के लिए फांसी की मांग की थी। एनआईए कोर्ट ने मलिक को टेरर फंडिंग के केस में दोषी ठहराया था। लेकिन फैसले के खिलाफ पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती का कहना है कि उम्रकैद या फांसी की सजा से मसले हल नहीं होंगे। मलिक ने सुनवाई के दौरान कबूल लिया था कि वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था।
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अगर अनुच्छेद 370 हटाना ही कश्मीर में दहशतगर्दी को कम करने का बेहतर साधन होता तो आज जो कुछ हो रहा है वो नहीं होता। जम्मू कश्मीर में लाखों की संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती का क्या मतलब है। केंद्र सरकार को कहीं न कहीं विचार करने की जरूरत है कि किस तरह से वो युवाओं के दिल को जीत सकती है। जहां तक यासीन मलिक को फांसी देने का सवाल है तो उन्हें लगता है कि इससे फायदा नहीं होने वाला है।
यासीन मलिक ने एनआईए अदालत को बताया था कि वो आतंकवादी अधिनियम, आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाने, आतंकवादी कृत्य करने की साजिश यूएपीए की धारा 20 के तहत ( आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के नाते) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (देशद्रोह) सहित अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को चैलेंज मुकाबला नहीं करेगा।
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