'लोगतंत्र' में बात हुई किसानों की। आंदोलन कर रहे किसान और सरकार के बीच लड़ाई लंबी खिंचती दिख रही है। अब ये लड़ाई तीन मोर्चों पर लड़ी जा रही है। पहला है दिल्ली, जिसके बॉर्डर पर किसान अब भी मौजूद हैं। दूसरा यूपी जहां चुनाव होने हैं, मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत हो चुकी है, किसान नेता बाकी शहरों में भी जाएंगे, ताकि बीजेपी पर दबाव बनाया जा सके, क्योंकि यूपी में अगले साल चुनाव हैं और किसान नेता इसे मौके पर देख रहे हैं। तीसरा मोर्चा अब करनाल में खुल गया है। करनाल मुख्यमंत्री एमएल खट्टर का चुनावी क्षेत्र है, इसलिए किसानों को करनाल सरकार और बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए मुफीद जगह लगती है, किसान और सरकार के बीच में बात भले न बन रही हो लेकिन किसान लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। उन्होंने एक नहीं 3-3 मोर्च खोल दिए हैं।
इन 3 मोर्चों में से आजकल सबसे ज्यादा सुर्खियां करनाल में किसानों के मोर्चे की हैं। जहां किसानों ने मिनी सचिवालय का घेराव कर लिया है। वो करनाल के एसडीएम रहे आयुष सिन्हा पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें आयुष सिन्हा किसानों का सिर फोड़ देने का आदेश देते नजर आ रहे थे। इस वीडियो को लेकर हंगामा इसलिए भी हुआ कि वाकई पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बुरी तरह लाठीचार्ज किया और एक किसान की मौत भी हो गई। यही वजह है कि किसान सरकार से आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव बना रहे हैं और सरकार ऐसा इसलिए नहीं कर रही क्योंकि इस कदम को उसकी हार और किसान की जीत के तौर पर देखा जाएगा।
करनाल में प्रशासन और किसानों के बीच बातचीत के बाद भी रास्ता क्यों नहीं निकल रहा है:
किसान नेता
हरियाणा सरकार
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