नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के बेटों को बर्खास्त करने के केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के फैसले का विरोध किया है। वे उन 11 कर्मचारियों में शामिल हैं जिन्हें जम्मू-कश्मीर सरकार ने बर्खास्त कर दिया है। महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'पिता के कामों पर बेटों को कैसे सताया जा सकता है? कोई जांच नहीं की गई है।'
खबर आई थी कि 11 जम्मू-कश्मीर सरकारी कर्मचारी कथित तौर पर आतंकी समूहों के लिए काम कर रहे थे। उन्हें सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया है। इस पर महबूबा ने ट्वीट किया, 'भारत सरकार ने संविधान को रौंदकर छद्म राष्ट्रवाद की आड़ में जम्मू-कश्मीर के लोगों को शक्तिहीन करना जारी रखा है। 11 सरकारी कर्मचारियों को तुच्छ आधार पर बर्खास्त करना आपराधिक है। जम्मू-कश्मीर के सभी नीतिगत फैसले कश्मीरियों को दंडित करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ लिए जाते हैं।'
महबूबा ने बाद में अपने ट्वीट पर कहा, 'मैं किसी का समर्थन नहीं कर रही हूं। आप किसी बच्चे को उसके पिता के कामों के लिए तब तक जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते जब तक कि आपके पास सबूत न हो। ये 11 लोग नहीं हैं, उन्होंने इस साल 20-25 को बर्खास्त किया है। मैंने यह बार-बार कहा है, आप एक आदमी को पकड़ सकते हैं लेकिन विचार को नहीं। आपको इस विचार को संबोधित करना होगा, जैसा वाजपेयी जी ने किया था। असहमति का अपराधीकरण हमारे देश को पीछे ले जा रहा है।'
पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों सहित 11 कर्मचारियों को इस आधार पर बर्खास्त कर दिया था कि वे आतंकवादी संगठनों के लिए काम कर रहे थे। उनमें से चार अनंतनाग के थे, तीन बडगाम के और एक-एक बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा और कुपवाड़ा के थे। उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त कर दिया गया था जिसके तहत कोई जांच नहीं होती है।
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