कोहिमा : नागालैंड के मोन जिले में सेना की गोलीबारी में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) को हटाने की मांग की। सीएम ने कहा कि वह लंबे समय से अफस्पा को हटाए जाने की मांग करते रहे हैं। अब चूंकि राज्य में उग्रवाद की समस्या नहीं है इसलिए इस अधिनियम को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है। इस बीच, दीमापुर स्थित सेना के तीन कोर ने इस फायरिंग की आंतरिक जांच शुरू कर दी है। इस जांच की अगुवाई मेजर जनरल रैंक के अधिकारी कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि गोलीबारी किस वजह से हुई इस तथ्य की जांच की जाएगी।
शनिवार को नागालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों ने आम नागरिकों को उग्रवादी समझकर उन पर गोलीबारी कर दी। सेना को खुफिया जानकारी मिली थी कि एक वाहन में उग्रवादी जा रहे हैं। सेना ने इस वाहन को निशाना बनाते हुए गोलीबारी की लेकिन बाद में पता चला कि वाहन में उग्रवादी नहीं बल्कि स्थानीय नागरिक थे। गोलीबारी की इस घटना के बाद स्थानीय लोग नाराज हो गए। इसके बाद उन्होंने सेना के कैंप का घेराव किया। इस दौरान भीड़ ने कैंप में उपद्रव करते हुए तोड़फोड़ की। हिंसा में 14 लोगों की मौत हुई। कैंप को स्थानीय लोगों से मुक्त कराने के लिए सेना को बल का प्रयोग करना पड़ा।
सीएम ने कहा कि उनकी इस पूरे मामले को लेकर उनकी गृह मंत्री अमित शाह से बात हुई है। सरकार मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपए और घायलों को 50 हजार रुपए का मुआवजा देगी। नागालैंड की फायरिंग की घटना को सरकार ने काफी गंभीरता से लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को उच्च स्तरीय बैठक की। इस बैठक में गृह मंत्री ने उन्हें स्थिति की पूरी जानकारी दी।
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