नई दिल्ली : नेपाल की ओर से अपने नए नक्शे को मंजूरी दिए जाने के बाद दिल्ली और काठमांडू के आपसी रिश्ते के बीच रस्साकशी का दौर देखने को मिल सकता है। दरअसल, नेपाल कैबिनेट ने एक नए नक्शे को मंजूरी दी है जिसमें लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना क्षेत्र बताया गया है। जबकि भारत वर्षों से इन तीनों इलाके को अपना हिस्सा मानता आ रहा है लेकिन नेपाल के इस नए नक्शे ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। भारत ने इस मामले का समाधान निकालने के लिए विदेश सचिव स्तर की वार्ता शुरू करने का फैसला किया है। वहीं, भारत-नेपाल संबंधों के जानकार काठमांडू के इस कदम को संदेह से देख रहे हैं। विशेषज्ञों को अंदेशा है कि नेपाल यह कदम चीन के इशारे पर उठाया होगा।
तीनों इलाकों का है सामरिक महत्व
भारत लंबे समय से लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना इलाका मानता है। इन तीनों स्थानों का सामरिक महत्व है। ये इलाके भारत, चीन और नेपाल की सीमा पर स्थित हैं। लिपुलेख और कालापानी से चीन की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है। सेना प्रमुख एमएम नरावणे ने भी कुछ दिनों पहले कहा है कि सीमा विवाद में नेपाल को कोई और घसीट रहा है। सेना प्रमुख का इशारा चीन की तरफ था। दरअसल, नेपाल की इस कदम पर संदेह इसलिए हो रहा है क्योंकि इसके पहले उसने इन इलाकों पर कभी अपना दावा नहीं किया है।
लद्दाख क्षेत्र में आक्रामक हुआ है चीन
हाल के दिनों में लद्दाख इलाके में चीन ज्यादा आक्रामक हुआ है। लद्दाख के दोनों इलाकों में चीनी सैनिकों का भारतीय जवानों के साथ आमना-सामना और हल्का संघर्श हुआ जिसमें दोनों तरफ के जवान जख्मी हुए। मीडिया रिपोर्टों में लद्दाख इलाके में चीनी हेलिकॉप्टर के दाखिल होने की बात सामने आई है। कुल मिलाकर सीमा पर चीन ने अपनी गतिविधियां एक बार तेज की हैं जिसे देखते हुए भारतीय फौज अलर्ट है। टाइम्स नाउ से खास बातचीत में सेना प्रमुख ने कहा कि चीन ने अपनी तरफ विकास की जुड़ी गतिविधियां कर रहा है और हम भी अपनी तरफ इसी तरह के कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीमा पर दोनों देशों की फौजों का आमना-सामना होना नई बात नहीं है।
नेपाल के झुकाव चीन की तरफ
नेपाल में केपी ओली की सरकार बनने के बाद इस देश का झुकाव चीन की तरफ ज्यादा नजर आया है। हाल के वर्षों में चीन ने अपना प्रभाव नेपाल में बढ़ाया है। बीजिंग ने नेपाल को बड़ी मात्रा में कर्ज दिया है और वहां बुनियादी संरचना खड़ा करने में उसकी मदद कर रहा है। जाहिर है कि नेपाल में अपना प्रभाव बढ़ाते हुए चीन अपने हितों की पूर्ति करने में जुटा है। वह नेपाल के जरिए भारत पर दबाव एवं चुनौतियां खड़ा करना चाहता है।
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