News ki pathshala: आज सोमनाथ मंदिर का चैप्टर में खास बात ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमनाथ में कई प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया।पहला प्रोजेक्ट-सोमनाथ मंदिर के पीछे समुद्र दर्शन पैदल पथ ,दूसरा प्रोजेक्ट,सोमनाथ मंदिर का प्रदर्शनी केंद्र
तीसरा प्रोजेक्ट- नया अहिल्याबाई होलकर मंदिर,चौथा प्रोजेक्ट-श्री पार्वती मंदिर की आधारशिला,सोमनाथ मंदिर के पीछे वॉक वे का निर्माण इसकी लागत 45 करोड़ रुपये आई है।इसकी लंबाई 1.48 किलोमीटर है। मंदिर और समुद्र का शानदार नजारा दिखेगा
मुंबई के मरीन ड्राइव की तरह घुमावदार है।
सोमनाथ एग्जीबिशन सेंटर क्यों है खास
सोमनाथ एग्जीबिशन सेंटर में मंदिर के प्राचीन अवशेष रखे गए हैं लोग सोमनाथ मंदिर के इतिहास को जानेंगे। आज सोमनाथ मंदिर जिस रूप में है, उसकी आधारशिला आज़ादी के तुरंत बाद रखी गई थी।13 नवंबर 1947 को सरदार पटेल सोमनाथ मंदिर गए थेमंदिर की हालत देख कर उनको काफी दुख हुआ था ।मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन किया गया ।15 मार्च 1950 को ट्रस्ट ने काम शुरू किया ।11 मई 1951 को राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने ज्योतिर्लिंग स्थापित किया।
सोमनाथ मंदिर से जुड़े खास प्रसंग
सोमनाथ मंदिर के हिस्ट्री का चैप्टर खुला है तो कुछ जरूरी बातों को जानना भी जरूरी है।।11 मई 1951 को देश के पहले और तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर गए। उस समय सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण के बाद उद्घाटन किया गया था। राजेंद्र प्रसाद जी को इस कार्यक्रम में शामिल होने का आमंत्रण भेजा गया था।लेकिन देश के पहले और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू नहीं चाहते थे कि राष्ट्रपति इस कार्यक्रम में जाएं। नेहरू जी का मानना था कि ये धार्मिक कार्यक्रम है इसमें शामिल होने से सही संदेश नहीं जाएगा। मशहूर पत्रकार दुर्गादास अपनी किताब इंडिया फ्रॉम कर्जन टू नेहरू एंड आफ्टर में लिखते हैं कि राजेंद्र प्रसाद ने नेहरू की आपत्ति का जवाब देते हुए कहा था कि मैं अपने धर्म में विश्वास करता हूं और अपने आप को इससे अलग नहीं कर सकता।
12 ज्योतिर्लिंग
12 ज्योतिर्लिंगों में पहला है इसका निर्माण चंद्रदेव ने कराया थासोमनाथ मंदिर के शिखर की ऊंचाई 150 फीट है।मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे बाणस्तंभ है बाणस्तंभ के ऊपर ग्लोब पर तीर घुसा है। सोमनाथ मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बीच पृथ्वी नहीं है
सोमनाथ मंदिर को शुरू में प्रभासक्षेत्र कहा जाता था।सोमनाथ में ही भगवान श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था।
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