बीते दो दिनों में दो साल के पद्म अवॉर्ड दिए गए और इन अवॉर्ड विजेताओं में जिस तरह आम लोग खास बनकर उभरे, उनकी कहानियां सामने आईं तो लगा कि पद्म पुरस्कार वास्तव में पीपुल्स अवॉर्ड हो गए हैं। और इस बात के लिए मोदी सरकार को क्रेडिट देना होगा। वैसे, एक जमाने में पद्म पुरस्कार कैसे दिए जाते थे, इसके लिए दो छोटे किस्से जानने होंगे। जवाहरलाल नेहरू के जमाने के जाने माने फोटोग्राफर सुनील जनह को 1972 में पद्मश्री दिया गया। लेकिन, अवॉर्ड देने के बाद सरकार उन्हें भूल गई और फिर 2012 में कांग्रेस सरकार ने उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड के लिए ही चुन लिया। इससे भी दिलचस्प किस्सा और पुराना है, जब डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने मंजूरी के लिए आई लिस्ट में पद्मश्री के लिए एक नाम जोड़ दिया। उन्होंने लिस्ट में लिखा-दक्षिण की मिस लेजरस। अधिकारी नहीं जानते थे कि मिस लेजरस कौन हैं। बहुत खोजा तो पता चला कि चेन्नई में एक शिक्षाविद् हैं मिस लेजरस। उन्हें पद्मश्री देने की सूचना दे दी गई और फिर लिस्ट राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के पास भेजी गई तो उन्होंने लिखा कि मिस लेजरस नर्स हैं। पता चला कि हैदराबाद से विजयवाडा जाते वक्त राजेन्द्र प्रसाद बीमार हो गए थे, तो तो नर्स मिस लेजरस ने उनकी सेवा की थी, जिससे खुश होकर उन्हें पद्मश्री दिया गया। मजे की बात ये कि उस साल दो मिस लेजरस को पद्मश्री दिया गया था। तो पद्म पुरस्कार कैसे बांटे जाते थे-ये उसकी मिसाल हैं। लेकिन, अब आज की बात।
एक तस्वीर को देखकर पाकिस्तान की फौज जल भुन गई होगी। क्योंकि ये वो शख्स है, जिसका इंतजार या कहें तलाश पाकिस्तान और उनकी पूरी फौज बीते 50 साल से कर रही है। ये शख्स हैं कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर। पाकिस्तानी फौज, उसकी इंटेलिजेंस काजी सज्जाद अली जहीर को 50 सालों से ढूंढ रही थीं, लेकिन ढूंढ नहीं पाईं। वो खुद तब नजर आए, जब उन्हें राष्ट्रपति भवन से पद्म श्री अवॉर्ड देने के लिए बुलावा गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पाकिस्तानी सेना में कर्नल रहे काजी सज्जाद अली जहीर को पद्म श्री से सम्मानित किया। ये वही कर्नल जहीर हैं जो बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के हीरो हैं।
कर्नल जहीर 1969 के आखिर में पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए थे। तब बांग्लादेश पर भी पाकिस्तान का ही शासन था। जब पूर्वी पाकिस्तान में पाक फौज का अत्याचार बढ़ा, तो मातृभूमि और अपने लोगों की रक्षा के लिए इस इलाके से ताल्लुक रखने वाले जवानों ने पाकिस्तानी सेना से बगावत कर दी। इन्हीं में से एक थे कर्नल जहीर। बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों ने कर्नल जहीर को हिलाकर रख दिया। उन्होंने पाकिस्तान से भागकर भारत में प्रवेश किया तो उन्होंने भारत को पाक सेना से जुड़ी सीक्रेट जानकारी दी और मुक्ति वाहिनी के लड़ाकों को ट्रेनिंग दी। जाहिर है पाकिस्तान इससे बुरी तरह बौखला गया। पाकिस्तान सेना ने जहीर की मौत का वारंट जारी कर दिया। इतना ही नहीं उनके घर को जला दिया गया, उनके परिवार को भी टारगेट किया गया, लेकिन परिवार के लोग सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचने में सफल हो गए। अब 50 साल बाद जब कर्नल जहीर इस तरह भारत में सम्मान पाते हुए नजर आए, तो यकीनन पाकिस्तान को मिर्ची लगी होगी।
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