नई दिल्ली: बचपन में सुनते थे धन्ना सेठ, गरीब यूपी में ऐसे ही एक सेठ का तहखाना खुला तो..लोगों की आंखे फटी रह गई। लगभग 194 करोड़ कैश..इतने नोट..जिसे गिनने के लिए मशीनें कम पड़ गई। एक ट्रक करेंसी नोट, फिर 8 बोरी करेंसी नोट..2000 के नोटों की गड्डियों का पहाड़। सोचिए..एक आम आदमी..इस देश में टमाटर-प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर सिर पटक रहा है..100 रुपए पार पेट्रोल की कीमत देख जल-भुन रहा है..और उधर..नोटों का बंडल पर बंडल मिल रहा है। चल क्या चल रहा है ? आज यही सवाल पब्लिक का में...शो का मुद्दा है।
जिस इत्र में समाजवादी पार्टी खूखबू देख रही है और बीजेपी वाले उसे बदबू बता रहे हैं। उस इत्र को बनाने वाले कारोबारी पर महाभारत है। मुझे लगता है अगर पैसा नहीं पकड़ा जाता तो चुनावी मौसम में इस धन्ना सेठ को अपने पाले में रखने की लड़ाई होती..पैसा पकड़ में आ गया तो पीयूष जैन, पम्पी जैन किसका आदमी है..इसपर तू-तू..मैं-मैं चल रही है। मुख्मयंत्री योगी तो इस छापेमारी को नोटबंदी से जोड़ रहे हैं। CM योगी उनके डिप्टी...यूपी में इस बड़ी छापेमारी को समाजवादी पार्टी से जोड़ रहे हैं । दूसरी तरफ अखिलेश का पूरा कुनबा कारोबारी जैन को बीजेपी से Associate कर रहा। इस बीच कानपुर से कन्नौज तक 22 दिसंबर से शुरू छापेमारी में क्या मिला उसकी पूरी लिस्ट conclude करके आधिकारिक तौर पर जारी की गई है, वो आप वीडियो में देख सकते हैं।
अहमदाबाद में तीन महीने पहले एक ट्रक पकड़ा गया । इस ट्रक में पान मसाला था । इस ट्रक में 200 से ज्यादा invoice यानी बिल मिले । ये सभी बिल 50 हजार से कम के थे । ट्रक गणपति ट्रांसपोर्टर प्रवीण जैन का था..। प्रवीण जैन..पीयूष जैन का रिश्तेदार बताया जा रहा है । यहीं से फर्जी invoice से फर्जी कंपनियों का पता चला । DGGI की टीम एक्टिव हुई..फर्जी बिल और पीयूष जैन का कनेक्शन मिलता चला गया..उसके बाद छापेमारी शुरू हुई।
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