देश का अगला राष्ट्रपति सत्ता पक्ष से होगा या विपक्ष से इसका फैसला तो 21 जुलाई को होगा। लेकिन उससे पहले विपक्ष की तरफ से कवायद जारी है कि एक साझा उम्मीदवार पेश किया जाए। विपक्ष का चेहरा कौन होगा अभी साफ नहीं है। शरद पवार के नाम को आगे किया गया। लेकिन उन्होंने खुद मना कर दिया। बुधवार को इस संबंध में ममता बनर्जी की अपील पर विपक्षी दल दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्लब में बैठक में शामिल होने वाले हैं लेकिन उससे पहले बीजेपी ने अपने अंदाज में निशाना साधा है।
विपक्षी एकता पर बीजेपी का तंज
बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि आप खुद समझ सकते हैं कि विपक्षी एकता में दम कहा है। राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर ममता बनर्जी बड़ी बैठक करने जा रही हैं लेकिन आप और टीआरएस ने खुद को बैठक से अलग रखने का फैसला किया है। दरअसल विपक्षी एकता दिखावे की है। जब विपक्ष में इतने सारे लोग पीएम पद की मंशा पाल बैठे हैं को एकता की उम्मीद करना ही बेमानी है। इसमें कोई दो मत नहीं कि एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए समर्थित उम्मीदवार को ही विजय हासिल होगी।
बुलाते तो भी नहीं जाता- ओवैसी
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसीमुझे नहीं बुलाया गया है,अगर बुलाया जाता तो भी मैं नहीं जाता, इसकी वजह कांग्रेस है। हमें खरी खोटी सुनाने वाली TMC बुलाती तो हम इसलिए नहीं जाते क्योंकि उन्होंने बैठक में कांग्रेस को बुलाया है:ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई विपक्ष की बैठक पर उन्होंने खास बात कही है। इन सबके बीच वाईएसआर कांग्रेस का कहना है कि उन लोगों को भी बैठक में नहीं बुलाया गया है। जहां तक राष्ट्रपति पद पर समर्थन की बात है तो उस संबंध में अंतिम फैसला जगनमोहन रेड्डी ही लेंगे।
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