नई दिल्ली: आज केंद्र सरकार ने जैसे ही अन्य पिछड़ा वर्ग विधेयक पेश किया तो विपक्ष के सुर बदल गए, समझिए कि इस बिल में आखिर ऐसा क्या है जिससे विपक्ष का हंगामा थम गया, दरअसल केंद्र सरकार जो संशोधन विधेयक लेकर आई है उसके पास होते ही राज्यों को ओबीसी की लिस्ट में नई जातियों को शामिल करने के लिए केंद्र सरकार पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, राज्य सरकारें अपने यहां किसी जाति को ओबीसी समुदाय में शामिल कर सकती हैं।
साफ है मामला एक बड़े वोट बैंक से जुड़ा है इसीलिए विपक्ष भी इस बिल की राह में रोड़ा अटकाने से बच रहा है इस संसोधन बिल को पास करना या करवाना सभी पार्टियों की मजबूरी बन चुका है।क्योंकि कुछ महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी जाति को ओबीसी में शामिल करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है राज्यों के पास नहीं।
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के अलावा हरियाणा में जाट. गुजरात में पटेल और कर्नाटक में लिंगायत समेत कई समुदाय के लोग खुद को ओबीसी वर्ग में शामिल करने की मांग करते आए हैं, यही वजह है कि ना ना करते हुए भी सरकार का साथ देना विपक्ष की मजबूरी बन चुका है, सवाल वोट बैंक का है तो सभी पार्टियों ने चर्चा के दौरान सभी सांसदों को उपस्थित रहने का व्हिप भी जारी किया, वोट बैंक कि सियासत कैसे हो रही ये आपको बताते हैं...
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