नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण जल्द शुरू हो सकता है। कोरोना महामारी के चलते इसमें देरी हुई है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के प्रवक्ता और उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि जल्द ही भूमि पूजन होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर ये महामारी नहीं आती तो अब तक पीएम मोदी भूमि पूजन कर चुके होते। हम चाहते हैं कि ये जल्दी हो, हमारी सभी तैयारियां पूरी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था।
इसके साथ ही महंत कमल नयन दास ने कहा कि मंदिर का निर्माण उसी मॉडल के आधार पर होगा जो विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा प्रस्तावित है। प्रयास ये है कि 2022 की जो रामनवमी है वो भगवान राम वहीं मनाएं। पूजा-पाठ इत्यादि वहां चल रहा है। मंदिर का प्रारूप पहले से तय है। जो श्रद्धालुओं को दिखाया गया है, वो ही बनेगा। इसके अलावा जो पत्थर तैयार हैं, उन्हीं का निर्माण में उपयोग किया जाएगा। इस साल फरवरी में वीएचपी ने राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट से अनुरोध किया था कि VHP के साथ राम जन्मभूमि न्यास द्वारा डिजाइन को अंतिम रूप दिया जाए।
ऐसा है VHP का मॉडल
राम जन्मभूमि मंदिर का मॉडल चंद्रकांत सोमपुरा द्वारा डिजाइन किया गया है। प्रस्तावित मॉडल में राम मंदिर की ऊंचाई 125 फुट है। उल्लेखनीय है कि वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा ने 1987 में विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के कहने पर राममंदिर का मॉडल तैयार किया था। इस नक्शे में प्रस्तावित मंदिर की लंबाई 270 फुट, चौड़ाई 135 फुट और ऊंचाई 125 फुट बताई गई है। हर मंजिल पर 106 खम्भे होंगे। पहली मंजिल पर खम्भे की लम्बाई 16.5 फुट और दूसरी मंजिल पर 14.5 फुट प्रस्तावित है। प्रत्येक मंजिल 185 बीम पर टिकी होगी। मंदिर में संगमरमर का फ्रेम और लकड़ी के दरवाजे होंगे। मंदिर में पांच प्रवेशद्वार (सिंह द्वार, नृत्य मंडप, रंग मंडप, पूजा-कक्ष और गर्भगृह) होंगे और रामलला की मूर्ति निचले तल पर विराजमान होगी। मंदिर में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
एलएंडटी करेगी मंदिर का निर्माण
सोमपुरा के दादा प्रभाशंकर सोमपुरा ने मंदिर वास्तुकला पर 14 किताबें लिखी हैं। उन्होंने सोमनाथ मंदिर को नया रूप दिया था। सोमपुरा ने 28 महीने की रिकॉर्ड अवधि में लंदन के नेसडेन में बने स्वामीनारायण मंदिर को भी डिजाइन किया है। इनका परिवार 16 पीढ़ियों से देश-विदेश में भव्य मंदिरों का निर्माण करता आ रहा है। वे खुद अब तक हिंदू, जैन और स्वामीनारायण संप्रदाय के 100 से अधिक मंदिर बना चुके हैं। उत्तराखंड के बदरीनाथ मंदिर का मरम्मत इनके पिता ने करवाया था। सोमपुरा को 1997 में सर्वश्रेष्ठ आर्किटेक्ट घोषित किया गया था। राम मंदिर का निर्माण लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) द्वारा किया जाएगा।
मंदिर के लिए पत्थरों को तराशा जा चुका है
इससे पहले जगदगुरु शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि मंदिर के विहिप मॉडल को पूरे देश ने मंजूरी दे दी थी और लोगों ने इसके निर्माण के लिए पैसे भी दिए थे। मंदिर उसी मॉडल के अनुरूप बनाया जाएगा। जो लोग मांग कर रहे हैं कि मंदिर को संगमरमर से बनाया जाना चाहिए, उन्हें यह भी बताना चाहिए कि इतनी बड़ी मात्रा में मकराना संगमरमर कहां मिलेगा। इसके अलावा मंदिर के लिए पत्थरों को पहले ही तराशा जा चुका है और हम इस स्तर पर अपनी योजना को नहीं बदल सकते हैं।
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