पिछले कुछ दिनों से बांग्लादेश में जो हो रहा है...उस पर हिन्दुस्तान में घनघोर चुप्पी परेशान करती है। जो लोग विरोध में उतरे हैं वो कुछ संगठन हैं। लेकिन अंदाजा लगाइए...अगर ऐसा ही कहीं दूसरे धर्म विशेष या मुस्लिम के लिए होता तो क्या यही चुप्पी होती। शायद नहीं। तब देश की अस्मिता खतरे में पड़ गई होती। आपको याद होगा कि रोहिंग्या को शरण दिलवाने के लिए इस देश में किस तरह से कैंपेन चलाए गए। सुप्रीम कोर्ट से लेकर हर जगह एक रैकेट सक्रिय हो गया। जो प्रेशर ग्रुप है उसने आखिरी कोशिश की। लेकिन आज वो प्रेशर ग्रुप कहां है...क्यों भाई...न कोई ट्वीट...न कोई आवाज...न कोई बात। अब सबको सांप सूंघ गया क्या?
बांग्लादेश में एक अफवाह के बाद जो साजिश चल रही है और ये कहने में कोई गुरेज नहीं कि हो सकता है ये वही बात है, जिसमें जीरो फीसदी हिंदू थ्योरी की बात सुनने में आती है क्योंकि जब ये साफ हो गया कि पवित्र कुरान को लेकर, जो मैसेज फैलाया गया तो मॉर्फ्ड तस्वीर थी। वो सफेद झूठ था। फिर नवरात्र से शुरू हुआ सुनियोजित दंगा आज तक बांग्लादेश में जारी क्यों है।
नवरात्र से जारी हिंसा में क्या-क्या हुआ?
मतलब हद हो रखी है बांग्लादेश में। लेकिन हद की इंतेहा हो रखी है अपने देश में भी। आपको याद है कि CAA के विरोध में दाना-पानी लेकर धरने पर बैठे लोग...कौन सा डर दुनिया को बेच रहे थे...वो कह रहे थे कि हिंदू राष्ट्र बनाने की साजिश है। CAA में मुस्लिम शब्द क्यों नहीं है। अरे भाई, दुनिया में किस गैर मुस्लिम देश से मुसलमान भगाए गए। म्यांमार में अगर कुछ हुआ भी तो शरण देने के लिए 100 से ज्यादा देश हैं। लेकिन हिंदू, सिख, जैन, पारसी, ये कहां जाएंगे...एक ही रास्ता दिखता है हिंदुस्तान।
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