टाइम्स नाउ समिट में अभिनेत्री कंगना रनौत के दिए एक बयान पर देशभर में महाभारत मचा हुआ है। कंगना रनौत ने आजादी को लेकर एक बयान दिया। कंगना रनौत ने करीब सात मिनट इस मुद्दे पर बात की। कंगना ने सावरकर, लक्ष्मीबाई और सुभाष चंद्र बोस का जिक्र किया। कंगना ने कहा कि इन लोगों ने बड़ी कुर्बानी दी। कहते कहते कंगना रनौत ने कहा कि तब वो आजादी भीख में मिली थी। असली आजादी 2014 में मिली। इसी बयान पर विवाद हो रहा है। कंगना ने जो कहा वो उनके निजी विचार हैं। हम कंगना की कही बात का समर्थन नहीं कर रहे हैं, लेकिन कंगना के इस बयान के बाद देशद्रोह के मुकदमे और पद्म अवॉर्ड वापस लेने की बात हो रही है। ये वही लोग हैं जो देश के खिलाफ नारे लगाने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होने पर छाती पीट-पीटकर रोते थे, देशद्रोह के मुकदमे को गलत ठहराते थे। वो लोग जो आजादी गैंग हो या टुकड़े गैंग के समर्थन में खुलकर उतरते थे। देशद्रोह के मुकदमे को गलत ठहराने वाले यही लोग अब कंगना के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने और पद्म सम्मान वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
ये वही लोग हैं जो पाकिस्तान की जीत पर देश के खिलाफ नारे लगाने वालों के साथ खड़े होते हैं लेकिन कंगना को पद्मश्री मिलने पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं। लेकिन दूसरी ओर कंगना के समर्थन में मराठी अभिनेता विक्रम गोखले खुलकर आए हैं। विक्रम गोखले ने कहा है कि कंगना ने जो कहा वो उससे सहमत हैं।
कंगना रनौत ने खुद इस बयान के बाद इंस्टाग्राम पर लिखा कि इस इंटरव्यू में सारी बातें साफ तौर पर कही गई थीं कि 1857 में आजादी के लिए पहली संगठित लड़ाई लड़ी गई। साथ में सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और वीर सावरकर जी के बलिदान पर भी बात की गई। 1857 का मुझे पता है लेकिन 1947 में कौन सी लड़ाई लड़ी गई इसकी मुझे जानकारी नहीं है। अगर कोई मेरी इस बात पर जानकारी बढ़ाए तो मैं अपना पद्म श्री अवॉर्ड वापस कर माफी मांग लूंगी। कृपया मेरी मदद करें।'
वहीं बीजेपी नेता राकेश त्रिपाठी ने भी कंगना पर देशद्रोह का मुकदमा लगाने की मांग करने वालों पर हमला बोला है और कहा कि देशद्रोह पर इन नेताओं का डबल स्टैंडर्ड क्यों है।
ऐसे में सवाल हैं
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