Vikas Dubey Encounter Case: क्या विकास दुबे के नाम पर सिर्फ यूपी में हो रही है सियासत, इस तरह समझें

विकास दुबे एनकाउंटर केस के सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से सही बताया है। इसके साथ कुछ पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं ऐसे में सवाल है कि क्या विरोधी दल जाति की राजनीति कर रहे हैं।

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क्या विकास दुबे के नाम पर सिर्फ यूपी में हो रही है सियासत, इस तरह समझें 
मुख्य बातें
  • 10 जुलाई 2020 को विकास दुबे कानपुर में मुठभेड़ में मारा गया था
  • उज्जैन के महाकाल मंदिर से हुई थी गिरफ्तारी
  • 2 जुलाई 2020 को विकास दुूबे ने अपने गांव बिकरू में आठ पुलिस वालों को अपने गिरोह के साथ मार डाला था।

कानपुर के बहुचर्चित अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर में मौत होने पर जमकर सियासत हुई थी।विरोधी दलों ने योगी सरकार पर कई सवाल उठाए ।एनकाउंटर को फर्जी बताया गया। ब्राह्मणों के नाम पर जाति की सियासत तेज हो गई ।.लेकिन इस एनकाउंटर पर बनी आयोग की रिपोर्ट ने जाति के नाम पर सियासत करने वालों को करारा झटका दिया है।आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में योगी सरकार की पुलिस को क्लीनचिट दे दी है।.सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों की 3 सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि विकास दुबे का एनकाउंटर फर्जी नहीं थायूपी पुलिस की कार्रवाई गलत नहीं। दुबे को स्थानीय पुलिस, प्रशासन से प्रोटेक्शन मिलता था। अधिकारी कई सुविधाएं ले रहे थे। विकास का वर्चस्व पुलिस की अनदेखी की वजह से बढ़ा 

कमेटी की सनसनीखेज रिपोर्ट
टॉप-10 अपराधियों में विकास दुबे का नाम नहीं था  जबकि विकास दुबे का 64 आपराधिक केस में नाम था। गैंग के सदस्य शांति समितियों में थे । कमेटी ने जांच की सिफारिश की ।चार्जशीट से गंभीर धाराएं हटाई गई।कोर्ट में ट्रायल के दौरान गवाह मुकर जाते थे। गैंग के सदस्यों को जमानत मिलती रही।

विधानसभा में आयोग की रिपोर्ट पेश
योगी सरकार ने आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया है।जांच आयोग की इस रिपोर्ट के बाद वो विपक्षी दल जो विकास दुबे के बहाने ब्राह्मणों पर सियासत कर रहे थे। रिपोर्ट से तिलमिला गए ।समाजवादी पार्टी तो अब भी यूपी में पुलिस -प्रशासन ।अपराधियों और सरकार की मिलीभगत की बात कर रही है तो बीएसपी एक तरफ एनकाउंटर को मुद्दा ना बनाने की बात कह रही है और खुद ब्राहम्ण समाज का मुद्दा उठा रही है।

क्या सिर्फ यूपी चुनाव की वजह से सियासत
दरअसल अगले साल 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव हैं ।यूपी की सियासी पार्टियां अब ब्राहम्ण वोट को साधने में जुटी हुई है ।विपक्षी दल विकास दुबे के एनकाउंटर को फर्जी बताने के बहाने योगी सरकार को ब्राहम्ण विरोधी बताने की कोशिश कर रही थी।बीएसपी तो अयोध्या में ब्राहम्ण समाज का आयोजन भी कर चुकी है जबकि समाजवादी पार्टी की भी यही योजना है ।लेकिन आयोग की रिपोर्ट से इन लोगों को करारा झटका लगा है, एनकाउंटर को क्लीन चिट, योगी फॉर्मूला हिट ? आयोग की रिपोर्ट, सियासत करने वालों पर चोट ?'विकास'दुबे बहाना, ब्राह्मण वोट निशाना ?जाति के नाम पर कब बंद होगी सियासत ?

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