'राष्ट्रवाद' में बात हुई उत्तर प्रदेश में हो रही राजनीति की। यूपी में विधानसभा चुनाव में अब 6 महीने से भी कम का समय बचा हुआ है। विधानसभा चुनाव से पहले यूपी की सियासत में मजहबी रंग जमना शुरू हो चुका है। यूपी में अपनी जमीन तलाशने के लिए असदुद्दीन ओवैसी तीन दिन के यूपी के दौरे पर हैं। ओवैसी यूपी में मुस्लिम वोट पाने के लिए मजहबी कार्ड खेल रहे हैं तो मायावती ब्राह्मण वोटों को साधने में जुटी हुई हैं, तो योगी आदित्यनाथ अपना विकास कार्ड जनता के सामने रख रहे हैं।
ओवैसी ने यूपी में पहुंचने से पहले ही मुस्लिम कार्ड खेल दिया। ओवैसी ने राम नगरी अयोध्या से अपने मिशन की शुरुआत की है लेकिन जानबूझकर अयोध्या नाम न लिखकर पोस्टर में फैजाबाद नाम लिखा गया। हालांकि विवाद बढ़ता देख बाद में फैजाबाद लिखे पोस्टर पर दूसरे पोस्टर चिपकाए गए लेकिन ओवैसी ने अयोध्या में रैली से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुस्लिम कार्ड खेला। ओवैसी को यूपी में बाहरी वाला तमगा हटाना था, ऐसे में ओवैसी ने यूपी दौरे के पहले ही दिन मजहब वाली लकीर खींच दी। बाहुबली अतीक अहमद की पत्नी को अपनी पार्टी में शामिल किया। अतीक अहमद को भी पार्टी का सदस्य बनाया। इसी के साथ ओवैसी ने बाहुबली अतीक अहमद को अपने पाले में लाकर खुद को यूपी के मुसलमानों का मसीहा बताने की कोशिश की। इतना ही नहीं अतीक अहमद के बहाने यूपी में हिंदू मुस्लिम की राजनीति करने की कोशिश की।
ओवैसी ने बीजेपी पर हमला तो बोला ही साथ ही एसपी-बीएसपी पर भी मुसलमानों के नाम पर हमला बोला। ओवैसी चाहते हैं कि मुस्लिम वोट बंटने की बजाय उनके पाले में आए। बीजेपी ने ओवैसी पर मुस्लिम वोटरों को डर दिखाकर वोट पाने की सियासत करने का आरोप लगाया।
वहीं मायावती बीजेपी, कांग्रेस समाजवादी पार्टी पर बरसीं। खुद को ब्राह्मण हितैशी बताया और बड़े बड़े वादे किए। कुल मिलाकर यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले माहौल पूरा सियासी हो गया है। जाति और धर्म के नाम पर सियासी खेल चल रहा है, ऐसे में सवाल हैं:
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