'राष्ट्रवाद...देश से बढ़कर कुछ नहीं' में बात हुई राजस्थान सरकार से जुड़े एक विवाद पर। आज हम भले ही 21वीं सदी में जी रहे हैं लेकिन विडंबना है कि आज भी हमारे देश में बाल विवाह हो रहे हैं। जो उम्र बच्चों की पढ़ने लिखने की होती है उस उम्र में बच्चों को विवाह के बंधन में बांघ दिया जाता है। बाल विवाह, यानि चाइल्ड मैरिज भारतीय संविधान के मुताबिक पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है लेकिन फिर भी चोरी छिपे बाल विवाह कराए जाते हैं। अब राजस्थान सरकार एक ऐसा ही कानून लेकर आई है, जिस पर घमासान मचा हुआ है। गहलोत सरकार के इस कानून के मुताबिक अब बाल विवाह का भी रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा। नए कानून के मुताबिक एक महीने के भीतर ऐसे विवाह का रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
सवाल है जो चीज अवैध है, गैरकानूनी है उसका रजिस्ट्रेशन क्यों और कैसे होगा। क्या सरकार की मंशा बाल विवाह को मान्यता देना है। बीजेपी ने इसका पुरजोर विरोध किया है। बीजेपी का आरोप है कि गहलोत सरकार ऐसे कानून को लाकर बाल विवाह को बढ़ावा दो रही है जो कि एक काला अध्याय है। तो वहीं गहलोत सरकार के मंत्री दलीलें दे रहे हैं कि रजिस्ट्रेशन कराने का मतलब बाल विवाह को मंजूरी देना कतई नहीं है।
संविधान के मुताबिक बाल विवाह पूरी तरह से अवैध है। कानून के मुताबिक बाल विवाह मान्य नहीं है। बीजेपी सड़कों पर उतरकर विरोध कर रही है तो राजस्थान सरकार के इस कानून के खिलाफ नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स यानी NCPCR ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और कोर्ट में कानून को रद्द करने की याचिका दायर की है, तो ऐसे में सवाल हैं
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