Rashtravad : संसद का मानसून सत्र चल रहा है। पिछले कई दिनों से आप लगातार विपक्ष के हंगामे की तस्वीर देख रहे होंगे। लेकिन आज हंगामा ट्रेजरी बेंच की तरफ से हुआ यानी सत्ता पक्ष की ओर से। क्योंकि मामला देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु के अपमान का था और बीजेपी ने सीधे-सीधे कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगने की मांग की। बीजेपी की ओर से लोकसभा में कमान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने संभाल रखी थी। तो वहीं सदन से बाहर संसद भवन परिसर में सोनिया गांधी बिहार के शिवहर से बीजेपी सांसद रमा देवी से बात कर रही थीं।
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई, रवनीत बिट्टू वहीं थे, तभी सोनिया गांधी ने पूछा- मेरा नाम क्यों लिया जा रहा है। खबर है कि उसी वक्त स्मृति ईरानी वहां पर पहुंच गई। स्मृति ईरानी ने कहा- मैडम, मैं आपकी मदद करूं। स्मृति ईरानी ने कहा- मैंने आपका नाम लिया। सोनिया गांधी ने तुरंत स्मृति ईरानी को जवाब दिया... Don't Talk To Me. सोनिया के जवाब पर मौके पर नारेबाजी होने लगी। दोनों तरफ के सांसद आमने-सामने आ गए। बाद में गौरव गोगोई और एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने बीच-बचाव किया।
दरअसल लोकसभा में केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी नेता स्मृति ईरानी बहुत गुस्से में थीं। उनका ये गुस्सा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अपमान पर फूटा। सदन में उन्होंने राष्ट्रपति का अपमान करने वाले कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को आड़े हाथों लिया। चूंकि मामला देश के राष्ट्रपति के अपमान का है। ऐसे में स्मृति ईरानी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से राष्ट्रपति के अपमान पर सवाल पूछा। स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने देश के महिला और आदिवासियों का अपमान किया है। ऐसे में सोनिया गांधी को देश से माफी मांगनी चाहिए।
सदन सोनिया गांधी माफी मांगो के नारों से गूंज रहा था। स्मृति ईरानी बार-बार सोनिया गांधी से माफी मांगने के लिए कहती रहीं। सोनिया गांधी सदन में कुछ नहीं बोलीं। सदन से बाहर उन्होंने एक वाक्य में जवाब दिया। क्या कहा...सुनिए...
ये पूरा मामला कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के एक बयान के बाद भड़क उठा। अधीर रंजन चौधरी ने मान लिया है कि बुधवार को देश की राष्ट्रपति को लेकर उनके मुंह से गलती से एक शब्द निकल गया। जिस पर बीजेपी हंगामा कर रही है।
अब इस पूरे मामले को देखिए। कड़ी से कड़ी मिलाइए। आपको लगेगा कि इसमें कांग्रेस का फ्रस्टेशन साफ दिखता है। अब आप पूछेंगे कि ऐसा क्यों? तो वजह है कि पिछले एक दशक में देश से परिवार परस्त पार्टियों की हालत पतली होती जा रही है लेकिन परिवार के प्रति वफादारी में कमी नहीं ऐसा दिखावा किया जा रहा है। भले चुनाव पर चुनाव हारते जा रहे हैं लेकिन परिवार को शीर्ष पर दिखाने में कोई कमीं न रह जाए इसमें सबके सब जी जान से जुटे हैं। आप लोकसभा के नतीजे देखें या हाल में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों। लगता है कि जनता मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत के लिए ईवीएम का बटन दबा रही है। इसके साथ ही वो पार्टियां जो कभी कांग्रेस की बैसाखी बनते रहे हैं। चाहे यूपी में मुलायम-अखिलेश की समाजवादी पार्टी हो। बिहार में लालू-तेजस्वी की आरजेडी या फिर महाराष्ट्र में उद्धव-आदित्य की शिवसेना। इनकी भी हालत कमोबेश कांग्रेस जैसी होती दिख रही। और इनमें और कांग्रेस में भी एक समानता है कि यहां भी परिवार की भक्ति चरम पर है। अब देखिए जिस ईडी को लेकर कांग्रेस का विरोध सड़कों पर दिखता है। उसे लेकर भारी कन्फ्यूजन है। विरोध परिवार के लिए है या ED के खिलाफ।
ऐसे में आज राष्ट्रवाद में बड़ा सवाल है कि
सोनिया गांधी का सम्मान है..होना भी चाहिए लेकिन देश की महिला राष्ट्रपति का अपमान क्यों?
कांग्रेस मुक्त भारत कौन बना रहा, बीजेपी या खुद कांग्रेस ?
परिवारवाद को जनता नकार रही..पार्टियां कब इससे बाहर निकलेगी ?
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