Sawal Public Ka: हिंदुओं पर क्रिएटिव फ्रीडम, बाकी पर 'डर अच्छा है'?

‘काली’ के पोस्टर पर देवी को धूम्रपान करते और LGBTQ का झंडा थामे दिखाये जाने के कारण आलोचनाओं का शिकार हो रहीं फिल्म निर्माता Leena Manimekalai ने सोमवार को कहा कि वह जब तब जिंदा हैं तब तक बेखौफ अपनी आवाज बुलंद करना जारी रखेंगी।

Sawal Public Ka: Hinduon की आस्था के साथ 'खेल' क्यों ? | Kaali Controversy | Navika Kumar | Hindi News
Sawal Public Ka: Hinduon की आस्था के साथ खिलवाड़ क्यों 
मुख्य बातें
  • काली फिल्म को लेकर लीना के खिलाफ दिल्ली पुलिस में दर्ज हो चुकी है शिकायत
  • पहले भी विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में रह चुकी है लीना
  • अब सवाल ये है कि धार्मिक अपमान पर Double Standard क्यों ?

नई दिल्ली: काली नाम की इस डॉक्यूमेंट्री को लीना मणिमेकलाई (LEENA MANIMEKALAI) ने बनाई है । लीना भारतीय हैं लेकिन कनाडा में रहती हैं। इस डॉक्यूमेंट्री के बारे में लीना ने ट्विटर पर लिखा है कि - 'ये फिल्म एक शाम की घटना पर बनी है, जब काली प्रकट होती हैं और टोरंटो की गलियों में चहलकदमी करती हैं। अगर आप पिक्चर देखें तो ये हैशटैग ना लगाएं - "#ArrestLeenaManimekalai" यानी लीना को गिरफ्तार करो। ये हैशटैग लगाएं - "#LoveYouLeenaManimekalai" यानी लीना, हम तुमसे प्यार करते हैं।' इस ट्वीट से जाहिर है कि लीना को पता है कि वो हिंदू आस्था को ठेस पहुंचा रही हैं। लेकिन लोकप्रियता हासिल करने के लिए वो ऐसा कर रही हैं। उन्हें ये लग रहा है कि हिंदुओं का अपमान करना बेहद आसान है।

पहले भी दे चुकी है विवादित बयान

काली फिल्म को लेकर लीना के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज करायी गई है।  लेकिन लीना ने ऐसा पहली बार नहीं किया है...आस्था को ठेस पहुंचाना उनकी पुरानी आदत है। 5 अगस्त 2020 यानी अयोध्या में जिस दिन राम मंदिर का भूमिपूजन हुआ, उस दिन लीना ने ट्वीट किया -राम भगवान नहीं हैं...भारतीय जनता पार्टी के Electronic Voting Machine हैं। यहां सिर्फ भगवान राम का अपमान नहीं हो रहा। यहां सुप्रीम कोर्ट की अवमानना हो रही है, चुनाव आयोग पर उंगली उठायी जा रही है ।भारत के लिए लीना का विचार क्या है,  इसे भी देख लीजिए। इसी साल 31 मई को लीना ने लिखा -भारतीय संस्कृति एक "rapist culture" है। 

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सवाल पब्लिक का

1. हिंदू आस्था पर चोट क्रिएटिव फ्रीडम कैसे ?

2. मां काली के अपमान पर खुद को लिबरल कहने वाले चुप क्यों हैं ?

3. क्या मां सरस्वती, दुर्गा और काली पर Too Much डेमोक्रेसी है ?

और सबसे बड़ा सवाल
4. क्या आस्था के अपमान को लेकर भी डबल स्टैंडर्ड है ?

पहले उड़ा चुके हैं देवी-देवताओं का मजाक

याद कीजिए मशहूर पेंटर एम. एफ. हुसैन के उस एपिसोड को जब उन्होंने देवी सरस्वती की आपत्तिजनक तस्वीर बना दी थी। सरस्वती को हिंदू मां कहते हैं। उन्हें ज्ञान की देवी कहा जाता है। एम.एफ. हुसैन का जोरदार विरोध हुआ...लेकिन ये सिलसिला आज तक चल रहा है।  नाम दिया जाता है, Creative Freedom और Freedom of Expression....। याद कीजिए JNU में लेफ्ट विचारधारा से जुड़े संगठनों ने एक फेस्टिवल आयोजित किया था, जिसमें देवी दुर्गा का अपमान किया गया था....। अभी ज्ञानवापी में काली गोलाकार आकृति मिलने का विवाद हुआ तो खुद को प्रोग्रेसिव कहने वाले कितने ही लोगों ने शिवलिंग के नाम पर मजाक उड़ाया। हिंदू आस्था के अपमान को अभिव्यक्ति की आजादी बताई जाती है । लेकिन, इसी देश में दो ऐसे लोग थे जिन्हें आस्था के अपमान के नाम पर जान गंवानी पड़ी। 

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