नई दिल्ली: काली नाम की इस डॉक्यूमेंट्री को लीना मणिमेकलाई (LEENA MANIMEKALAI) ने बनाई है । लीना भारतीय हैं लेकिन कनाडा में रहती हैं। इस डॉक्यूमेंट्री के बारे में लीना ने ट्विटर पर लिखा है कि - 'ये फिल्म एक शाम की घटना पर बनी है, जब काली प्रकट होती हैं और टोरंटो की गलियों में चहलकदमी करती हैं। अगर आप पिक्चर देखें तो ये हैशटैग ना लगाएं - "#ArrestLeenaManimekalai" यानी लीना को गिरफ्तार करो। ये हैशटैग लगाएं - "#LoveYouLeenaManimekalai" यानी लीना, हम तुमसे प्यार करते हैं।' इस ट्वीट से जाहिर है कि लीना को पता है कि वो हिंदू आस्था को ठेस पहुंचा रही हैं। लेकिन लोकप्रियता हासिल करने के लिए वो ऐसा कर रही हैं। उन्हें ये लग रहा है कि हिंदुओं का अपमान करना बेहद आसान है।
काली फिल्म को लेकर लीना के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज करायी गई है। लेकिन लीना ने ऐसा पहली बार नहीं किया है...आस्था को ठेस पहुंचाना उनकी पुरानी आदत है। 5 अगस्त 2020 यानी अयोध्या में जिस दिन राम मंदिर का भूमिपूजन हुआ, उस दिन लीना ने ट्वीट किया -राम भगवान नहीं हैं...भारतीय जनता पार्टी के Electronic Voting Machine हैं। यहां सिर्फ भगवान राम का अपमान नहीं हो रहा। यहां सुप्रीम कोर्ट की अवमानना हो रही है, चुनाव आयोग पर उंगली उठायी जा रही है ।भारत के लिए लीना का विचार क्या है, इसे भी देख लीजिए। इसी साल 31 मई को लीना ने लिखा -भारतीय संस्कृति एक "rapist culture" है।
1. हिंदू आस्था पर चोट क्रिएटिव फ्रीडम कैसे ?
2. मां काली के अपमान पर खुद को लिबरल कहने वाले चुप क्यों हैं ?
3. क्या मां सरस्वती, दुर्गा और काली पर Too Much डेमोक्रेसी है ?
और सबसे बड़ा सवाल
4. क्या आस्था के अपमान को लेकर भी डबल स्टैंडर्ड है ?
याद कीजिए मशहूर पेंटर एम. एफ. हुसैन के उस एपिसोड को जब उन्होंने देवी सरस्वती की आपत्तिजनक तस्वीर बना दी थी। सरस्वती को हिंदू मां कहते हैं। उन्हें ज्ञान की देवी कहा जाता है। एम.एफ. हुसैन का जोरदार विरोध हुआ...लेकिन ये सिलसिला आज तक चल रहा है। नाम दिया जाता है, Creative Freedom और Freedom of Expression....। याद कीजिए JNU में लेफ्ट विचारधारा से जुड़े संगठनों ने एक फेस्टिवल आयोजित किया था, जिसमें देवी दुर्गा का अपमान किया गया था....। अभी ज्ञानवापी में काली गोलाकार आकृति मिलने का विवाद हुआ तो खुद को प्रोग्रेसिव कहने वाले कितने ही लोगों ने शिवलिंग के नाम पर मजाक उड़ाया। हिंदू आस्था के अपमान को अभिव्यक्ति की आजादी बताई जाती है । लेकिन, इसी देश में दो ऐसे लोग थे जिन्हें आस्था के अपमान के नाम पर जान गंवानी पड़ी।
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