Sawal Public Ka: क्या भारत जोड़ो की बात करने वाली कांग्रेस को अब कांग्रेस जोड़ो कैंपेन की ज्यादा जरूरत है? 

Sawal Public Ka : गुलाम नबी आजाद ने ना सिर्फ कांग्रेस से अपना रिश्ता खत्म कर लिया बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी अपनी 5 पेज की चिट्ठी में राहुल गांधी पर जमकर हमला किया। जनवरी 2013 में जब से राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष बने तब से पार्टी में सलाह लेकर फैसले लेने वाली व्यवस्था ध्वस्त हो गई।

Sawal Public Ka Does the Congress, which talks about Bharat Jodo, need Congress Jodo campaign more now?
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस और राहुल पर साधा निशाना 

Sawal Public Ka : कांग्रेस हाल-फिलहाल के सबसे बड़े संकट में घिर गई है। 50 साल से अधिक समय तक कांग्रेस के सिपाही रहे, पार्टी के सबसे बड़े चेहरों में से एक रहे, गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ दी है। गुलाम नबी आजाद ने ना सिर्फ पार्टी से अपना रिश्ता खत्म किया, बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी अपनी 5 पेज की चिट्ठी में राहुल गांधी पर ऐसा तीखा हमला किया है, जैसा शायद ही किसी और पूर्व कांग्रेसी ने कभी किया हो। गुलाम नबी ने आरोप लगाया कि जिस रिमोट कंट्रोल मॉडल से यूपीए सरकार की Integrity खत्म की गई, वही कांग्रेस में लागू कर दी गई है। कांग्रेस के फैसले राहुल गांधी या उनके सिक्युरिटी गार्ड और PA करते हैं। कांग्रेस पर ये ऐसा ब्लास्ट है कि पार्टी हैरान रह गई है। उसके पास जवाब में कहने को कुछ खास नहीं। सवाल पब्लिक का है, कि क्या ये कांग्रेस का आपातकाल है?

क्या भारत जोड़ो की बात करने वाली कांग्रेस को अब कांग्रेस जोड़ो कैंपेन की ज्यादा जरूरत है? गुलाम नबी आजाद लंबे समय से कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं में शामिल थे। अगस्त 2020 में 22 अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ उन्होंने कांग्रेस में बड़े बदलावों के लिए चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी को कांग्रेस नेतृत्व पचा नहीं पाया था। गुलाम नबी आजाद ने आज इस्तीफे का जो ऐलान किया, उसकी बुनियाद इसी चिट्ठी में पड़ गई थी।

सोनिया गांधी को अपने Resignation Letter में यूपीए सरकार के दौरान सरकार गांधी ने जो अध्यादेश फाड़ा था, उसका जिक्र किया है। गुलाम नबी ने इस्तीफे में लिखा कि UPA सरकार जो पहले से ही दक्षिणपंथी और कुछ विवेकहीन कॉर्पोरेट हितों के निशाने पर थी, ये एक अकेला कदम 2014 में उसकी हार के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार था।

गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में लिखा कि जनवरी 2013 में जब से राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष बने तब से पार्टी में सलाह लेकर फैसले लेने वाली व्यवस्था ध्वस्त हो गई। जनवरी 2013 के जयपुर अधिवेशन में कांग्रेस के लिए एक्शन प्लान सुझाया गया था लेकिन 9 साल से ये AICC के स्टोररूम में धूल फांक रहा है। अगस्त 2020 से गुलाम नबी आजाद की नाराजगी जगजाहिर थी। फरवरी 2021 में राज्यसभा में जब आजाद का कार्यकाल खत्म हुआ तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके लिए भावुक हुए थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने ही कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के लिए G23 शब्द का इस्तेमाल किया था। मोदी ने कहा था कि मैं गुलाम नबी आजाद को रिटायर नहीं होने दूंगा। आज जब गुलाम नबी आजाद का इस्तीफा आया तो मैंने उनसे फोन पर बात की। गुलाम नबी ने मुझसे कहा कि वो किसी पार्टी में शामिल नहीं होने जा रहे। उन्होंने मुझसे अपनी पार्टी बनाने के इरादे की पुष्टि भी की। और कहा कि कश्मीर के लोग ही पार्टी अध्यक्ष चुनेंगे।

अगस्त 2020 से गुलाम नबी आजाद की नाराजगी जगजाहिर थी। फरवरी 2021 में राज्यसभा में जब आजाद का कार्यकाल खत्म हुआ तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके लिए भावुक हुए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने ही कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के लिए G23 शब्द का इस्तेमाल किया था। मोदी ने कहा था कि मैं गुलाम नबी आजाद को रिटायर नहीं होने दूंगा।

आज जब गुलाम नबी आजाद का इस्तीफा आया तो मैंने उनसे फोन पर बात की। गुलाम नबी ने मुझसे कहा कि वो किसी पार्टी में शामिल नहीं होने जा रहे। उन्होंने मुझसे अपनी पार्टी बनाने के इरादे की पुष्टि भी की। और कहा कि कश्मीर के लोग ही पार्टी अध्यक्ष चुनेंगे। गुलाम नबी आजाद ने ऐसे समय में कांग्रेस छोड़ी है जब पार्टी ने अपने अगले अध्यक्ष को चुनने की प्रक्रिया शुरू की है। लेकिन गुलाम नबी आजाद का Resignation Letter कांग्रेस को आईना दिखा रहा है। कांग्रेस में स्थिति ऐसी बन गई है कि Proxies को अब पार्टी का नेतृत्व सौंपा जा रहा है। 

संगठन की चुनाव प्रक्रिया सिर्फ नाटक और दिखावा है। देश में कहीं भी किसी भी स्तर पर संगठन के चुनाव नहीं हुए। गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में कहा कि राहुल गांधी की अगुवाई में 2014 से 2022 के बीच कांग्रेस 49 में से 39 विधानसभा चुनाव हार चुकी है। सिर्फ 4 राज्यों में चुनाव जीता और सिर्फ 6 राज्यों में गठबंधन सरकार बना सकी। आज सिर्फ 2 राज्य में कांग्रेस सरकार है, और 2 राज्यों के गठबंधन सरकारों में शामिल है।

गुलाम नबी आजाद से पहले कपिल सिब्बल, अश्विनी कुमार, अमरिंदर सिंह, सुनील जाखड़ जैसे नेता कांग्रेस को छोड़ चुके हैं। आनंद शर्मा, मनीष तिवारी जैसे नेताओं के तेवर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने वाला है।और इसने पार्टी के भीतर दो फाड़ कर के रख दिया है। गुलाम नबी आजाद ने अपने चिट्ठी में सितंबर 2021 में कपिल सिब्बल के घर पर हुए हमले का जिक्र भी किया और कहा कि चापलूसों ने पार्टी की कमियां सामने रखने वाले 23 सीनियर नेताओं पर हमले करवाए और अपमानित किया।

इन नाराज नेताओं में अधिकतर का गुस्सा सिर्फ राहुल गांधी पर है। अभी जुलाई में गुलाम नबी आजाद, मनीष तिवारी और आनंद शर्मा ED जांच को लेकर सोनिया गांधी के समर्थन में कांग्रेस के कैंपेन में शामिल हुए थे। आज गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में राहुल से नाराजगी लेकिन सोनिया के सम्मान को साफ उजागर भी किया।

गुलाम नबी का कांग्रेस से इस्तीफा पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका है। लेकिन यूथ कांग्रेस के प्रमुख श्रीनिवास बी वी ने राहुल गांधी का एक वीडियो साझा किया जिसमें राहुल ये कहते सुने जा रहे हैं कि हमें RSS से डरने वाले लोग नहीं चाहिए। जो निडर है, वही कांग्रेस में रहें। लेकिन कांग्रेस ने अपने आधिकारिक बयान में क्या कहा है।

सवाल पब्लिक का

1. क्या गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के बाद 2024 से पहले कांग्रेस में बड़ी टूट की आशंका पैदा हो गई है?
2. क्या राहुल गांधी पर गुलाम नबी आजाद का प्रहार राहुल की क्रेडिबिलिटी ध्वस्त कर रहा है?
3. क्या गुलाम नबी आजाद का दांव कश्मीर में BJP के लिए नए समीकरण बना रहा है? 

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर