राफेल डील को लेकर खुलासे का आज लगातार दूसरा दिन है। दस्तावेजों के जरिए हमने कल इसी शो में पहला खुलासा किया था और बताया था कि केंद्र में जब UPA की सरकार थी, उस वक्त वर्ष 2007 से लेकर 2012 के बीच डील के लिए रिश्वत दी गई थी। ये खुलासा मीडिल मैन सुशेन मोहन गुप्ता के हवाले से था। आज इस कड़ी में हम दूसरा खुलासा करने जा रहे हैं और ये खुलासा भी सुशेन मोहन गुप्ता के बयान और दस्तावेज पर आधारित है। TIMES NOW नवभारत को सुशेन मोहन गुप्ता के डिजिटल अर्काइव से दस्तावेज मिला है। इस दस्तावेज से पता चलता है कि सुशेन गुप्ता ने 7 सितंबर, 2012 को पेरिस के पास दसॉ एविएशन हेडक्वार्टर में एक अहम बैठक की थी। दस्तावेज देखने से साफ पता चलता है कि सुशेन मोहन गुप्ता इस बात से परेशान है कि दसॉ एविएशन पहले हुई बातचीत के मुताबिक कमीशन नहीं दे रहा था। सुशेन इस बात से परेशान था। उसने दसॉ एविएशन से कहा कि उससे वादा किया गया था कि कंपनी उसे कमीशन देगी, जिससे वो भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देगा, जिससे राफेल डील को फाइनल करने में मदद मिलेगी। इन दस्तावेजों से साफ पता चलता है कि सुशेन गुप्ता ने उस वक्त की सरकार यानी UPA सरकार में कुछ लोगों को कमीशन देने का वादा किया था और कुछ लोगों को कमीशन दिया था, ताकि डील आसानी से हो सके।
सुशेन मोहन गुप्ता इस बात से नाराज था कि अगर दसॉ एविएशन ने उसे कमीशन नहीं दिया तो ऊपर बैठे कुछ लोग इस डील को रद्द कर देंगे और उसे जेल भेज देंगे क्योंकि वो उन्हें कमीशन देने का वादा कर चुका है। तो सवाल ये है कि ऊपर बैठे लोग कौन थे? सुशेन गुप्ता किन लोगों की बात कर रहा था? सुशेन किसके बारे में कह रहा था कि कमीशन नहीं मिला तो वो राफेल डील रद्द कर देंगे? क्या ये लोग UPA सरकार में शामिल थे? क्या ये वो लोग हैं जिनका नाम बीजेपी ले रही है? यानी राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी...आज बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने खासतौर से इन तीन नामों पर कमीशन लेने का आरोप लगाया है
अब सवाल हैं:
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