सवाल पब्लिक का शो में बात हुई महाराष्ट्र की। दरअसल वहां सरकार में मौजूद महाअघाड़ी, जिसमें कांग्रेस,शिवसेना,और NCP शामिल है, उसने यूपी के लखीमपुर में किसानों की मौत को लेकर बंद बुलाया। ये खबर चौंकाने वाली थी, भला रूलिंग पार्टी अपने ही राज्य में बंद क्यों बुलाएगी। वजह जानकर और हैरानी हुई। लखीमपुर की घटना के खिलाफ किसानों के साथ खड़े हैं। ये दिखाने के लिए बंद बुलाया, जिसमें लाठी-डंडे, लात-मुक्का सब चलाए।
अपने किसानों की हालत दिख नहीं रही। वो सुसाइड कर रहे हैं और आप किसान के नाम पर बंद करके दिहाड़ी कमाने वाले, 12 घंटे नौकरी कर दो पैसा कमाने वाले को पीट रहे हो, धक्का दे रहे हो, लाठी-डंडे चला रहे हैं। बंद से कौन कराहता है? बंद से कराहते आम लोग एक दिन बंद से मुंबई में एक रजिस्टर्ड दुकानदार को 10 हजार तक का नुकसान होता है। मुंबई में करीब 3 लाख छोटे दुकानदार हैं।
हम-आप सब लोग सुनते रहते हैं..आज भारत बंद है, आज मुंबई बंद है, आज दिल्ली बंद है। बंद करने वाले..चाहे वो किसी भी पार्टी के हों..अकड़ कर ऐलान करते रहते हैं। लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत इसे लेकर क्या कहती है।
क्या 'बंद' Fundamental Right है?
1962: कामेश्वर प्रसाद Vs स्टेट ऑफ बिहार में SC ने कहा कि हड़ताल का सहारा लेने का कोई मौलिक अधिकार नहीं।
1998: SC ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ CPM की अपील पर जो कहा -
1. कोई भी राजनीतिक दल या संगठन यह दावा नहीं कर सकता कि वह पूरे राज्य या देश में उद्योग और व्यापार को पंगु बनाने का हकदार है
2. इसमें कोई संदेह नहीं कि समग्र रूप से लोगों के मौलिक अधिकार किसी व्यक्ति या केवल लोगों के एक वर्ग के मौलिक अधिकार के दावे के अधीन नहीं हो सकता
किसान की तरफ से सड़क नाकेबंदी पर SC ने कहा कि सत्याग्रह करने की क्या बात है? आपने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, कोर्ट पर भरोसा रखें। एक बार जब आपने अदालत का दरवाजा खटखटाया, तो विरोध का क्या मतलब है? क्या आप न्यायिक व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं? व्यवस्था में विश्वास रखें।
अब सवाल पब्लिक का है..
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