Sawal Public Ka : एक सरकार से आम जनता सबसे ज्यादा किस बात की उम्मीद करती है। शायद हंड्रेड परसेंट लोग कहेंगे- ईमानदारी। लेकिन आप सुनकर चौंक जाएंगे कि बिहार में नीतीश की नई सरकार में 72 फीसदी मंत्रियों के नाम क्रिमिनल रिकॉर्ड में दर्ज हैं। मतलब अपराध के इम्तिहान में नीतीश की नई सरकार को distinction से महज तीन फीसदी कम नंबर हैं। इतना ही नहीं 53 परसेंट मंत्रियों पर तो गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
हद तो तब हो गई जब सरकार में कानून मंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले मंत्रीजी पर ही फरार होने के आरोप लग गए। वो भी उसी दिन..जिस दिन उन्होंने गवर्नर हाउस में संविधान की शपथ ली। इस सरकार के मुखिया नीतीश कुमार हैं जो सुशासन की बात करते नहीं थकते और जिनके सिपहसालार उन्हें 2024 में मोदी के मुकाबले पीएम पद का दावेदार मान रहे हैं। लेकिन ताजा आंकड़े और कानून मंत्री विवाद के बाद पब्लिक का सवाल है कि क्या ऐसी ही छवि के साथ 2024 में नीतीश..मोदी के सामने चेहरा होंगे? क्या नीतीश का सुशासन सिर्फ मुखौटा है?
आपने मोटे तौर पर आंकड़ों में देखा कि बिहार की नई सरकार को लेकर क्या हाल है? लेकिन मैं चाहती हूं कि इन आंकड़ों के कुछ और पन्ने पलटकर आपको दिखाऊं।
आपने बिहार में नई सरकार के तीन बड़े चेहरों का क्राइम रिकॉर्ड देखा। और अब आप जिन्हें टीवी स्क्रीन पर देख रहे हैं, ये हैं नीतीश की नई सरकार के कानून मंत्री- कार्तिकेय सिंह। आरजेडी कोटे से मंत्री बने कार्तिकेय सिंह के खिलाफ किडनैपिंग का केस दर्ज है। 16 अगस्त को इन्हें कोर्ट में पेश होना था लेकिन पेश नहीं हुए। बल्कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल के सामने मंत्री पद की शपथ ली। आज इसी मुद्दे को लेकर बीजेपी ने नीतीश कुमार को घेरा। सुनिए बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने इस पर क्या कुछ कहा।
बीजेपी सवाल कर रही है कि जिसे कोर्ट में सरेंडर करना चाहिए था उसे राजभवन कैसे पहुंचा दिया। अब हम आपको बताते हैं कि कार्तिकेय सिंह कौन हैं, इन्हें नई सरकार में कैसे मंत्री बनाया गया?
अब मैं आपको ये भी बताती हूं कि बिहार के कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह पर क्या आरोप है? दरअसल साल 2014 में पटना के बिहटा में राजीव रंजन नाम के शख्स की किडनैपिंग हुई थी। इस मामले में एक आरोपी बिहार के कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह भी हैं।
लेकिन इतनी संगीन धाराएं लगी होने के बावजूद कार्तिकेय सिंह ने कोर्ट के सामने सरेंडर नहीं किया है। बल्कि शान से कह रहे हैं कि उनके ऊपर लगे आरोप गलत हैं।
लोग पूछते हैं कि क्या जंगलराज लौट आया है? अब हमें बताएं..किडनैपिंग का आरोपी अगर कानून मंत्री है, 120B का आरोपी अगर कानून मंत्री है..तो यही तो जंगलराज है? आज इस खबर के पीछे टाइम्स नाउ नवभारत की टीम पड़ी रही। क्योंकि ये जनता के साथ धोखा है। हमने सीएम नीतीश कुमार से भी पूछा और नई सरकार के किंगमेकर कहे जाने वाले लालू यादव से भी पूछा। दोनों का रिएक्शन आप सुन लीजिए।
मतलब सीएम को पता ही नहीं है और लालू जी की नजर में ऐसा कोई मामला ही नहीं। अब आपको यहां एक और EXAMPLE देना चाहते हैं। बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद और डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में जेल में सजा काट रहे आनंद मोहन की एक तस्वीर वायरल हो रही है। कहा जाता है कि इस तस्वीर में वो खगड़िया के सर्किट हाउस में RJD के लोकल नेताओं के साथ दिख रहे हैं।
आनंद मोहन की एक और तस्वीर वायरल हो रही है। जिसमें वो अपनी पत्नी लवली आनंद, बेटे चेतन आनंद जो आरजेडी विधायक हैं। इनके अलावा वो अपने कुछ समर्थकों के साथ बातचीत करते दिख रहे हैं।
बताया जा रहा है कि ये तस्वीरें 12 अगस्त की हैं। जब आनंद मोहन को सहरसा से पेशी के लिए पटना लाया गया था लेकिन वापस जेल जाने की बजाय वो पाटलिपुत्रा में अपने घर पहुंच गए, विधायक कालोनी भी गए, जहां विधायकों से भेंट की।
दर्शकों मैं आपको बता दूं कि जब यूपी में योगी सरकार आई तब भी हमने ADR की रिपोर्ट के हवाले से मंत्रियों की प्रोफाइल जनता के सामने रखी थी। बिहार में भी सरकार बनी तो ADR रिपोर्ट सामने रखी। लेकिन घोर आश्चर्य ये है कि नीतीश जो कभी बीजेपी के साथ आए ही इसलिए थे कि उन्हें सुशासन का राज कायम करना है। वो क्या इतने लाचार हैं कि उन्हें पता भी नहीं।
क्या सीएम हाउस ने शपथ लेने वाले मंत्रियों की प्रोफाइल भी चेक नहीं की। क्या इतनी भी समझ नहीं थी कि एक भगोड़े को कैसे कानून मंत्री बना दें। या फिर ये सब 2024 के लिए जहर का वो प्याला है जिसे पीते जाना है। क्योंकि सामने लड़ाई मोदी से करनी है।
ये है पब्लिक के सवाल
सवाल नंबर 1
ये कैसी महागठबंधन सरकार..जिसके कानून मंत्री ही 'फरार' ?
सवाल नंबर 2
मोदी से मुकाबला करने की बात करेंगे और जंगलराज पर चुप रहेंगे..क्या ये सुशासन सिर्फ मुखौटा भर नहीं ?
सवाल नंबर 3
क्या बिहार में जंगलराज की वापसी का बीजेपी का आरोप सही है ?
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