नई दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों के लिए मसीहा बने हुए हैं। जिस तरीके से सोनू सूद ने मजदूरों की मदद की है और उन्हें उनके घरों तक पहुंचाने का काम किया है, उसकी खूब चर्चा हो रही है। लेकिन अब वो महाराष्ट्र में सत्ताधारी दल शिवसेना के निशाने पर आ गए हैं। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में शिवसेना नेता संजय राउत ने लेख लिखकर सोनू पर हमला किया है।
संजय राउत ने अपने व्यंग्यात्मक लेख में सोनू सूद पर निशाना साधते हुए कहा कि अभिनेता जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे और पार्टी के प्रचार के लिए भी जा सकते हैं। राउत ने सूद को भारतीय जनता पार्टी (BJP) की कठपुतली कहा, जिसका शिवसेना और महाराष्ट्र सरकार पर हमला करने के लिए उपयोग किया जा रहा है। सोनू का मजाक उड़ाते हुए राउत ने कहा कि लॉकडाउन के दौर में एक नया 'महात्मा' सामने आया है।
सोनू सूद नाम का एक नया 'महात्मा' सामने आया: राउत
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सामाजिक कार्यों की परंपरा रही है। महात्मा ज्योतिराव फुले और बाबा आमटे जैसे महान सामाजिक कार्यकर्ता महाराष्ट्र से रहे हैं। अब इस लिस्ट में एक नया नाम सामने आया है और वो है सोनू सूद का। सोनू सूद द्वारा प्रवासी मजदूरों को उनके पैतृक राज्य तक पहुंचाने के लिए की गई मदद का उल्लेख करते हुए राउत ने कहा कि वीडियो और तस्वीरों में देखा है कि सोनू सूद प्रवासी श्रमिकों की मदद करने के लिए चिलचिलाती गर्मी में सड़कों पर हैं। पिछले कुछ दिनों से सोनू सूद नाम का एक नया 'महात्मा' सामने आया है। पिछले एक पखवाड़े से उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, दिल्ली और अन्य राज्यों में हजारों प्रवासी श्रमिकों को उनके मूल स्थानों पर भेजने के लिए सोनू सूद की चर्चा की गई है।
'राज्यपाल ने भी की 'महात्मा सूद' की प्रशंसा'
शिवसेना सांसद राउत ने आगे कहा कि यह कहा जा रहा है कि वह उन प्रवासी श्रमिकों की मदद कर सकता है, जबकि राज्य और केंद्र सरकार भी कुछ नहीं कर सकीं और विफल रहीं। महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी 'महात्मा सूद' की प्रशंसा की है। प्रवासी कामगारों को भेजने के लिए लॉकडाउन के बीच सोनू सूद को बसें कैसे मिल रही थीं, इस पर सवाल करते हुए संजय राउत ने कहा कि अभिनेता एक धर्मार्थ संगठन से एकत्रित धन के माध्यम से यह सब कर रहे थे।
'सोनू के पीछे कोई पॉलिटिकल डायरेक्टर'
राउत ने बाद में मीडिया से कहा, 'सोनू सूद पर्दे पर अच्छा रोल निभाते हैं और सड़क पर उतर कर भी उन्होंने अच्छा रोल अदा किया। फिल्मी पर्दे पर एक डायरेक्टर होता है वैसे ही इनके पीछे कोई पॉलिटिकल डायरेक्टर हो सकता है। काम तो बहुत से NGO और कोरोना वॉरियर्स ने भी किया पर जिस तरह से फोकस एक आदमी पर डालने की कोशिश की गई है उसका मतलब ये है कि महाराष्ट्र की सरकार कुछ नहीं कर पा रही है और एक आदमी सड़क पर उतर कर सबकुछ काम कर रहा है।'
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।