नई दिल्ली : चीन के बंदरगाहों पर पिछले सात महीने से फंसे 48 भारतीय नाविकों ने वहां से खुद को निकालने के लिए सरकार से अपील की है। नाविकों का कहना है कि इन बंदरगाहों से उन्हें आगे बढ़ने नहीं दिया जा रहा है और उनकी स्थिति 'बंधक' जैसी हो गई है। नाविकों ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी दुर्दशा और यातना बताई है।
'हमने कोई अपराध नहीं किया फिर भी बंधक'
नाविकों का कहना है कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है फिर भी उन्हें 'कैद' करके रखा गया है। हम हम मानसिक रूप से अस्थिर और शारीरिक रूप से फिट नहीं हैं। इन नाविकों के घरवालों ने भी सरकार से इस मामले में दखल देने और उनकी रिहाई सुनिश्चित करने की अपील की है।
पोर्ट से नाविकों को जाने नहीं दे रहा चीन
चालक दल के सदस्यों में शामिल वीरेंद्र सिंह भोसले ने टाइम्स नाउ से बातचीत में कहा कि गत जून में हम आस्ट्रेलिया से कोयला लेकर आए थे। इसके बाद यहां से हमें जाने नहीं दिया गया। ऐसा लग रहा है कि हमें बंधक बना लिया गया है। बोट पर साफ पानी और डॉक्टर नहीं हैं। बता दें कि चीन के हेबेई इलाके के बंदरगाल काओफेईडियान में रोके गए जहाज एमवी एनास्टासिया पर चालक दल में 16 भारतीय शामिल हैं। ये यहां पर 20 सितंबर 2020 से फंसे हुए हैं। दूसरे बंदरगाह बायूकुआन में नौ भारतीय नाविक फंसे हैं।
सरकार मामले में दखल दे-ओवैसी
भारतीय नाविकों के फंसे होने की रिपोर्ट सामने आने के बाद विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार को तुरंत इस मसले में दखल देकर चीन के साथ तत्काल इस मुद्दे को उठाना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि ये कोई सैनिक नहीं बल्कि नाविक हैं।
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