नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर से सांसद आजम खान ने बुधवार को अदालत के सामने सरेंडर कर दिया। सरेंडर करने वालों में उनकी पत्नी तंजीन और बेटे अब्दुल्ला भी शामिल हैंष अदालत ने उन्हें 2 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इन लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था। गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी वो अदालत के सामने पेश नहीं हो रहे थे, लिहाजा उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया था।
यहां यह जानना जरूरी है कि आखिर आजम खान जो अपनी सियासी जुबां से अपने विरोधियों पर निशाना साधते रहे हैं, आखिर वो अदालती लड़ाई में जंग क्यों हार गए। दरअसल उनके खिलाफ एक नहीं, दो नहीं बल्कि अस्सी से ज्यादा मामले दर्ज हैं। उनके खिलाफ आरोप लगा था कि जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में उन्होंने न केवल आम लोगों की जमीनों पर कब्जा किया बल्कि सरकारी जमीन पर भी अवैध तरीके से कब्जा किया था।
आजम खान के खिलाफ 80 से ज्यादा मामले दर्ज हैं जिनमें भैंस चोरी तक आरोप लगा। अपने ऊपर लगे आरोपों पर वो कहते रहे हैं कि उनके खिलाफ तो जानबूझकर योगी सरकार ने कार्रवाई की है। यह सिर्फ और सिर्फ राजनीति विद्वेष का मामला है। आजम खान के खिलाफ जब यूपी सरकार जांच कर रही थी तो जांच प्रक्रिया के खिलाफ मुलायम सिंह ने भी आवाज उठाते हुए कहा था कि वो व्यक्तिगत तौर पर उन्हें जानते हैं, आजम खान गलत काम कर ही नहीं सकते हैं। जहां तक जौहर विश्वविद्यालय के बनाने का सवाल था तो उन्होंने भीख मांग कर यानि आम जन के सहयोग के साथ इस बड़े काम में लगे। लेकिन कुछ लोगों को यह सब रास नहीं आया और नतीजा सबके सामने है कि किस तरह से आजम खान को परेशान किया जाने लगा।
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