कोलकाता। बीररभूम से टीएमसी की बागी सांसद शताब्दी रॉय अब कम से कम पार्टी के लिए बागी नहीं है। दरअसल गुरुवार को शताब्दी रॉय फैन्स क्लब पर पोस्ट था कि वो शनिवार को दिल्ली जा रही हैं, जिसके बारे में पहले शक था। लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि पोस्ट उन्हीं का है और वो दिल्ली जाएंगी। लेकिन रात होते होते उनका नजरिया बदला और उन्होंने कहा कि शनिवार को दिल्ली नहीं जा रही हूं।
'मैं दिल्ली नहीं जा रही'
पार्टी में जो भी समस्याएं हैं, उन सभी को उन्हें उठाना चाहिए। यदि पार्टी के 10 लोग कोई समस्या उठाते हैं, तो पार्टी को इसे हल करना चाहिए।मैंने आज अभिषेक बनर्जी के साथ बातचीत की और उन्होंने मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों को संबोधित किया। मैं कल (शनिवार) दिल्ली नहीं जा रहा हूं। मैं TMC के साथ बनी रहूंगी।
फेसबुक पोस्ट में क्या लिखा था
शताब्दी रॉय ने फेसबुक पोस्ट के जरिए क्या कुछ कहा था उसे समझना जरूरी है। फेसबुक पोस्ट के जरिए उन्होंने अपनी पीड़ा जाहिर की जिसमें लिखा गया था कि वो चाहती है कि पार्टी के कार्यक्रमों में सक्रियता से हिस्सा लें। लेकिन दुख की बात है कि उन्हें अपने लोगों से दूर रखने की कोशिश की जा रही है। वो लिखती हैं कि पिछले कुछ महीनों से ऐसा लगता है कि खास लोग नहीं चाहते हैं कि पार्टी के कार्यक्रमों मे सक्रिय तौर पर वो हिस्सा लें। अब अगर ऐसा होता है तो उनका मतलब क्या है। वो अगर लोगों से मिल ना सकें, पार्टी की नीतियों के बारे में अपने विचार ना रख सकें तो पार्टी में बने रहने का मकसद नहीं रह जाता।
क्या है जानकारों की राय
अब सवाल यह है कि क्या ममता बनर्जी को अब इस तरह की परेशानी नजर आ रही है कि असंतोष को थामना उनके लिए पहली प्राथमिकता है। जानकार इस बारे में कहते हैं कि बीजेपी के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि टीएमसी के कुछ सांसद और करीब 41 विधायक संपर्क में है वो अपने आप में किसी भी दल को असहज करने वाली है। जिस तरह से टीएमसी के कुछ कद्दावर चेहरे हाल में पार्टी छोड़ गए उस नुकसान की भरपाई आसान नहीं है। ऐसे में टीएमसी के रणनीतिकारों के सामने सिर्फ और सिर्फ एक विकल्प यही बचता है कि असंतोष को किसी भी हाल में रोकना ही होगा।
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