Rafale deal: राफेल क्या है, यूपीए और मोदी सरकार में कैसे हुई डील

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Updated Nov 14, 2019 | 12:32 IST

What is Rafale deal: सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील पर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। जानिए राफेल क्या है और यह डील कब शु्रू हुई है और कैसे हुई।

नई दिल्ली: फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट से 36 राफेल फाइटर विमान सौदे पर दी गई पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दी। याचिकाकर्ता पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण और कुछ अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 58,000 करोड़ के इस सौदे में धांधली हुई है इसकी जांच की जाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बैंच ने इस अर्जी को दोबारा खारिज कर दिया। कांग्रेस इस सौदे में भारी गड़बड़ी का आरोप लगाई ती। कांग्रेस का कहना है कि सरकार प्रत्येक विमान 1,670 करोड़ रुपए में खरीद रही है जबकि यूपीए सरकार ने प्रति विमान 526 करोड़ रुपए कीमत तय की थी। सरकार और विपक्ष के बीच राफेल पर जमकर विवाद हुआ था। कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर धांधली का आरोप लगाते हुए कहा था कि 'चौकीदार चोर है'। जानिए फ्रांस से 58000 करोड़ रुपए की लागत से भारत के 36 लड़ाकू विमान खरीदने का पूरा मामला (What is Rafale deal) क्या है।

मोदी सरकार में डील
पीएम मोदी ने वर्ष 2015 को फ्रांस की अपनी यात्रा के दौरान घोषणा की थी कि समझौते के तहत भारत सरकार 36 राफेल विमान खरीदेगी। पीएम मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद के बीच बातचीत के बाद 10 अप्रैल, 2015 को जारी एक संयुक्त बयान में 36 राफेल की खरीद पर हस्ताक्षर हुए। बाद में भारत और फ्रांस ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए 23 सितंबर, 2016 को 7.87 अरब यूरो (58, 000 करोड़ रुपए) के सौदे पर हस्ताक्षर किए। 

मनमोहन सरकार में डील
यूपीए सरकार के दौरान भारत वर्ष 2007 में 126 मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) को खरीदने के लिए आगे बढ़ा। मनमोहन सरकार के रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने भारतीय वायु सेना से प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी। इस बड़ी डील में लॉकहीड मार्टिन के एफ-16, यूरोफाइटर टाइफून, रूस के मिग-35, स्वीडन के ग्रिपेन, बोइंग का एफ/ए-18 एस और फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन का राफेल शामिल था। दिसंबर 2012 में बोली लगाई गई। डसॉल्ट एविएशन कंपनी ने सबसे कम बोली लगाई।

मूल प्रस्ताव के मुताबिक 18 विमान फ्रांस में बनाए जाने थे जबकि 108 विमान भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ मिलकर तैयार किए जाने थे। यूपीए सरकार और डसॉल्ट के बीच कीमतों और टैक्नोलॉजी के हस्तांतरण पर लंबी बातचीत हुई थी। आखिरी बातचीत 2014 की शुरुआत तक जारी रही लेकिन सौदा नहीं हो सका। ऐसा कहा गया था कि सौदा 10.2 अरब अमेरिकी डॉलर का होगा और प्रत्येक विमान की कीमत 526 करोड़ रुपए बताई गई थी।

क्या है राफेल 
युद्ध् के मैदान में अहम भूमिकाएं निभाने वाला राफेल दोहरे इंजन से लैस फ्रांसीसी लड़ाकू विमान है और इसका निर्माण डसॉल्ट एविएशन कंपनी ने किया है। राफेल विमानों को दुनिया भर में पर सर्वाधिक क्षमता वाला लड़ाकू विमान माना जाता है।


 

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