यूपी में योगी आदित्यनाथ कैबिनेट का विस्तार हो सकता है। बताया जा रहा है कि इस आखिरी विस्तार में समाज के हर वर्ग को साधने की कोशिश की जा रही है। खासतौर से वो राजनीतिक दल या समूह जो बीजेपी से मुखालफत कर रहे थे। सवाल यह है कि योगी आदित्यनाथ या बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की इस कवायद से क्या लाभ होने वाला है। क्या छोटे छोटे दलों को साधकर 2022 के चुनाव में बीजेपी अपना परचम फहरा पायेगी। उससे पहले यूपी की जाति की गणित को समझना भी जरूरी है।
यूपी में जाति का गणित
करीब 12% ब्राह्मण वोट
दलित करीब 21% हैं
42 जिलों में दलित वोट निर्णायक
पूर्वांचल की कई सीटों पर निषाद अहम
यूपी में 5% निषाद वोट
कुछ सीटों पर BJP-JDU से तालमेल संभव
JDU के जरिए कुर्मी, कोयरी, भूमिहार वोट साधेंगे
जाटव वोटों को भी लामबंद करने की कोशिश
संगठन पर भी जोर
कार्यकर्ताओं से जुड़ेंगे जे पी नड्डा
बूथ प्रमुख, सेक्टर प्रमुख से बात करेंगे नड्डा
25 सितंबर को पन्ना प्रमुख सम्मेलन
सभी 403 सीटों पर प्रभारी नियुक्त होंगे
टाइम्स नाउ नवभारत के लोगतंत्र कार्यक्रम में बीजेपी के साथ विरोधी दलों ने अपनी राय को रखा। बीजेपी नेता का कहना था कि ये तो महज एक सामान्य कवायद है इसका अर्थ सिर्फ यूपी 2022 विधानसभा चुनाव से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्षों में तो बीजेपी ने कुछ किया नहीं अब जबकि चुनाव सिर पर आ गया है तो सिर्फ वादों और ऐलानों की राजनीति की जा रही है।
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