राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 132 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अजमेर शहर को राजस्थान का दिल कहा जाता है। राजस्थान का यह शहर ऐतिहासिक विरासत, संस्कृति और रोमांच का एक शानदार संगम है। आज भी इस शहर की गाथाएं इतिहास में दोहराई जाती हैं। इस शहर की स्थापना 7वीं शताब्दी में राजा अजय राज सिंह चौहान द्वारा की गई थी, जो कि पृथ्वीराज चौहान के पूर्वज थे।
अरावली पर्वतमाला से घिरा यह शहर राजस्थान के खूबसूरत पर्यटन स्थलों के लिए देश दुनिया में शुमार है। हिंदू और मुस्लिम दोनों द्वारा सम्मानित यह शहर एकता इतिहास औऱ सुंदरता के प्रतीक के रूप में आज भी अपने पीछे सदियों पुराने इतिहास को लेकर खड़ा है। अजमेर अपने प्राकृतिक सुंदरता और कलात्मकता के लिए पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।
ऐसे में यदि आप राजस्थान घूमने की योजना बना रहे हैं तो जयपुर से मात्र 132 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस शहर को अपनी सूची में शामिल करना ना भूलें। यह शहर राजस्थान की ऐतिहासिक औऱ धार्मिक स्थलों का जीता जागता उदाहरण है। आइए जानते हैं अजमेर शहर के प्रमुख पर्यटन स्थल और इतिहास।
अजमेर शरीफ दरगाह:
राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित अजमेर शरीफ दरगाह मुसलमानों के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यह दरगाह मोइनुद्दीन चिश्ती के अंतिम विश्राम स्थल के रूप में बनवाया गया था। इस दरगाह का निर्माण मुगल शासकों द्वारा करवाया गया था। इस दरगाह को लेकर मान्यता है कि राजा हो या फकीर, हिंदु हो या मुस्लिम जो भी इस दरगाह की चौखट चूमता है वह खाली हांथ नहीं जाता। हर साल लाखों की तादाद में अजमेर शरीफ की दरगाह पर लोग आते हैं।
तारागढ़ किला:
अजमेर के तारागढ़ किले का इतिहास चौहान शासकों से जुड़ा हुआ है। इस ऐतिहासिक किले का निर्माण विदेशी और तुर्कों के आक्रमण के रक्षा औऱ अपनी सैन्य गतिविधियों को सुचारु रूप से चलाने के लिए सम्राट अजय पाल चौहान द्वारा 11 वीं शताब्दी में किया गया था। यह प्राचीन किला आज भी अपने पीछे सदियों पुराने इतिहास को लेकर खड़ा है। यह किला समुद्रतल से लगभग 1885 फीट ऊंचे पर्वत शिखर पर लगभग 2 वर्ग मील में फैला हुआ, भारत के सबसे ऊंचाई पर बने किलों में से एक है।
इस किले में अंदर जाने के लिए 3 विशाल दरवाजे बने हुए हैं। इन्हें लक्ष्मी पोल, ऊंटा दरवाजा और गागुड़ी फाटक के नाम से जाना जाता है। इस किले का पुन: निर्माण पृथ्वीराज सिसोदिया ने अपनी पत्नी तारा के कहने पर करवाया था। ऐसे में यदि आप इतिहास में रुचि रखते हैं तो इस किले का दीदार अवश्य करें।
किशनगढ़ किला:
अजमेर से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित किशनगढ़ किला राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस किले को भारत का संगमरमर भी कहा जाता है, यह दुनिया का एक मात्र स्थान है जहां पर नौ ग्रहों का मंदिर है। इस किले के अंदर कई ऐतिहासिक किले मौजूद हैं, जिन्हें विश्व धरोहर कहा जाता है। इस किले में एक शानदार झील है, जहां पर आप कई दुर्लभ औऱ विदेशी पक्षियों को देख सकते हैं। वास्तव में संगमरमर के रूप में यह किला बेहद खूबसूरत है। ऐसे में आपको इस किले का दीदार अवश्य करना चाहिए।
अढ़ाई दिन का झोपड़ा:
हिंदु मुस्लिम वास्तुशिल्प कला का प्राचीनतम औऱ नायाब नमूना अढ़ाई दिन का झोपड़ा राज्स्थान के अजमेर शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इसके समृद्ध और महीन नक्काशी में श्रमसाज्य की कला झलकती है। आपको बता दें इस मस्जिद का निर्माण संस्कृत विश्वद्यालय को परिवर्तित करके मोहम्मद गौरी के आदेश पर कुतुब-उद्दीन ऐबक ने वर्ष 1192 में मात्र अढ़ाई दिन में करवाया था। आज भी इस इस मस्जिद के बायीं ओर संगमरमर के शिलालेख पर संस्कृत में विद्यालय के नाम का उल्लेख है।
फॉय सागर झील:
अजमेर शहर में स्थित फॉय सागर झील अजमेर शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस झील का निर्माण अंग्रेजी वास्तुकार द्वारा 1892 में अजमेर में पानी की कमी को दूर करने के लिए किया गया था। आपको बता दें इस झील की मूल क्षमता 15 मिलियन क्यूबिक फीट है, जिसका पानी 14000,000 वर्ग फीट तक फैला हुआ है। नीले आकाश से प्रतिबिंब होता यह झील पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।
आनासागर झील:
यदि आप सूर्यास्त का मनोरम दृश्य देखना चाहते हैं तो राजस्थान के अजमेर में स्थित आनासागर झील प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां पर सूर्यास्त का मनोरम दृश्य आपका मनमोह लेगा। गर्मियों के दौरान यह झील सूख जाती है। झील के आसपास कुछ प्रसिद्ध माता के मंदिर हैं। ऐसे में यदि आप राजस्थान की यात्रा पर हैं तो इस झील का नजारा देखना कदापि ना भूलें।
पृथ्वीराज चौहान स्मारक, अजमेर:
अजमेर में स्थित पृथ्वीराज चौहान स्मारक राजपूतों की आन बान शान को प्रकट को करता है। यह स्मारक चौहान वंश के महान नायक पृथ्वीराज चौहान का है। जिसे पृथ्वीराज चौहान जी को श्रद्धांजलि देने के लिए बनवाया गया था। आपको बता दें स्मारक पर बनी पृथ्वीराज चौहान की मूर्ती काले संगमरमर के पत्थरों से तरासी गई है, जिसमें पृथ्वीराज चौहान अपने घोड़े पर बैठे हुए नजर आ रहे हैं।