मां और श‍िशु दोनों के लिए जरूरी है स्‍तनपान, इससे वंचित श‍िशुओं की जान जाने का भी होता है जोख‍िम

मां का दूध बच्‍चों को कई तरह की बीमारियों से बचाता है। ऐसे बच्‍चे जिन्‍हें मां का दूध नहीं मिल पाता, उनमें निमोनिया और डायरिया जैसे संक्रमण की स्थिति में जान का जोखिम अधिक रहता है।

मां और श‍िशु दोनों के लिए जरूरी है स्‍तनपान, इससे वंचित श‍िशुओं की जान जाने का भी होता है जोख‍िम (साभार : iStock Images)
मां और श‍िशु दोनों के लिए जरूरी है स्‍तनपान, इससे वंचित श‍िशुओं की जान जाने का भी होता है जोख‍िम (साभार : iStock Images)  |  तस्वीर साभार: Representative Image

डॉ. शिवानी सभरवाल

नई दिल्‍ली :
स्तनपान करना गर्भवती महिला और शिशु के स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त है। यह शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है। कई महिलाओं के लिए स्तनपान बच्चे के साथ एक भावनिक समय है। यह बच्चे को किसी भी संक्रमित बिमारी से दूर रखता है। इस प्रकार, स्तनपान कराने के फायदों के बारे में माताओं को परामर्श करना चाहिए।

मां का दूध न केवल शिशुओं के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि समय से पहले जन्मे नवजात शिशु के स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी हैं। जन्म के बाद एनआईसीयू में भर्ती बच्चों के शारीरिक विकास आणि पोषण के लिए माता का दूध लाभकारक है। इसलिए माताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चे समय-समय पर स्तनपान करें। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो तुरंत ऐसा करना शुरू कर दें।

स्तन के दूध के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इस दूध में पोषक तत्व होते है, जिसमें सभी प्रोटीन, शुगर और कई पौष्टिक तत्वों का समावेश होता है, जो आपके  बच्चे के शारीरिक विकास में मदतगार साबित होते हैं। इसके अलावा मानव दूध में एंटीबॉडी, प्रतिरक्षा कारक, एंजाइम और सफेद रक्त कोशिकाओं जैसे पदार्थ होते हैं। दूध में ऐसे पदार्थ शामिल होते हैं, जो बच्चे का पहला टीकाकरण समझा जाता है और बच्चे को संक्रमित बिमारी से बचाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, बच्चे को जन्म के एक घंटे बाद माता का दूध मिलना जरूरी है। बच्चे की अच्‍छी सेहत के लिए दो साल की उम्र तक उसे स्तनपान कराया जाना चाहिए।

स्तनपान के बारे में जानकारी देना जरूरी

निमोनिया और डायरिया जैसे संक्रमित बीमारी का खतरा बढ रहा हैं। इसमें स्तनपान न करने वाले शिशुओं की मृत्यु होने की आशंका अधिक होती है। इसलिए स्तनपान के बारे में गर्भवती महिलाओं को जागरूक करना जरूरी है। इसके लिए चर्चा सत्र आयोजित करना चाहिए और प्रसव के बाद भी इसे जारी रखना चाहिए। विशेष रूप से पहले 6 महीनों के लिए महिला के साथ विशेष स्तनपान के महत्व पर चर्चा की जानी चाहिए। लेकिन  इसका मतलब यह है कि उन्हें 6 महीने के बाद स्तनपान बंद कर देना चाहिए। यह तब तक जारी रहना चाहिए जब तक स्तनपान मां करा सकेती है। जब वह घर पर हो तब उसे बच्चे को अधिक बार दूध पिलाना चाहिए।

स्तनपान तीन प्रकार का होता है- प्रारंभिक दूध, संक्रमणकालीन दूध और परिपक्व दूध। प्रसव के चार दिनों तक गर्भावस्था के शुरुआती चरण में प्रारंभिक दूध का उत्पादन होता है। इस दूध में अधिक मात्रा एंटीबॉडी की होती है। यह बच्चे की सेहत के लिए फायदेमंद होता है। फिर 4-10 दिनों में उत्पादित संक्रमणकालीन दूध आता है। प्रारंभिक दूध की तुलना में इसमें प्रोटीन कम होता है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण होता है। फिर परिपक्व दूध आता है और यह दूध अधिक समय तक मां अपने बच्चे को पिला सकती है।

इन बातों का रखें ध्‍यान

  1. बच्चा रो रहा हो तो इसका मतलब यह नहीं है कि महिला को दूध नहीं आ रहा है। बस बच्चे की भूख अधिक है। ऐसा मानना चाहिए। दूसरे स्तन से दूध पिलाना शुरू करने से पूर्व पहले स्तन का दूध पूरी तरह बच्‍चे को पिलाना चाहिए। स्‍तन से दूध निकल जाने पर इनमें आगे चलकर संक्रमण की आशंका भी कम हो जाती है।
  2. जब हम गर्भवती महिलाओं से बात करें तो उन्हें बताएं कि बच्चे के जन्म के बाद 6 माह बेहद महत्‍वपूर्ण होते हैं। इस समय मां को बच्चे को अच्छी तरह स्तनपान करना चाहिए। यह स्तनपान दो साल तक जारी रखना चाहिए। शिशु को दूध पिलाते समय माताओं को नजदीक ही सोना चाहिए। बच्चा औऱ मां का त्वचा से संपर्क में होना चाहिए।
  3. दिनभर में 8-12 बार स्तनपान करना बच्चे के लिए अच्छा होता है। बच्‍चे का वजन बढ़ता है और वह अच्‍छी तरह सो पाता है।
  4. मानवीय दूध को सामान्य तापमान में 6 से 8 घंटे तक रखा जा सकता है।
  5. हम स्तन के दूध के महत्व पर जोर देते हैं, क्योंकि यह मां और बच्चे को एक मजबूत बंधन बनाने में भी मदद करता है। स्तनपान गर्भनिरोधक की तरह भी काम करता है और कई बार गर्भावस्था की संभावना को कम कर देता है।
  6. स्तनपान कराने से मां के गर्भाशय को अनुबंधित करने में मदद मिलती है। यह बच्‍चे के जन्म के बाद रक्तस्राव के जोखिम को कम करता है।
  7. स्तनपान कराने से माताओं को भी लाभ होता है। यह ऑस्टियोपोरोसिस और स्तन कैंसर के खतरे को भी कम करता है। यह अतिरिक्त कैलोरी को कम करके वजन को घटाने में भी मदद करता है।

(डॉ. शिवानी सभरवाल दिल्‍ली के अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं)

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

अगली खबर