नई दिल्ली: कोरोना काल में धीरे-धीरे सभी राज्य नियमों में ढिलाई बरत रहे हैं। देश का सबसे अधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में भी अब चाय पकौड़े की दुकान खुल गई है। देश के राज्यों में नियमों में ढील बरती जा रही है। बड़ी आश्चर्यजनक स्थिति है जब कोरोना का शुरूआती दौर था सब बंद था और अब लोगों के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार भी नरमी बरत रहे हैं। अब तो अमूमन सभी राज्यों में स्थिति कमोबेश एक जैसी है। कई जगहों पर स्ट्रीट फूड से लेकर रेस्टोरेंट और होटल भी खुल गए हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या बाहर जाकर रेस्टोरेंट और ढाबे का खाना खाना सुरक्षित है?
कितना सही है बाहर खाना?
कई महीनों से घरों में कैद लोगों को जब बाहर खाने का अवसर मिला तो वो कुछ ऐसे बाहर दिखाई दे रहे हैं, जैसे वो सात जन्मों के भूखे हों। कई जगहों पर लोगों की लापरवाही देखकर ऐसा लग रहा है जैसे कोरोना पूरी तरह से देश से हट चुका है, कोई खतरा नहीं। सवाल ये उठता है कि कितना सही है बाहर जाकर खाना खाना। कोरोना काल में सामाजिक दूरी की धज्जियां उड़ाते हुए लोग जिस तरह से बाहर अब खा रहे हैं उससे साफ़ झलक रहा है कि वो बिना बुलाए ही कोरोना को न्योता दे रहे हैं। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि कोरोना फिलहाल गया नहीं है।
बाहर खाने से क्या-क्या खतरा ?
केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से नरमी
देश में अनलॉक 4 की प्रक्रिया में कई सुविधाएं बहाल की गईं। इनमें मेट्रो सेवाओं से लेकर होटल और रेस्टोरेंट भी हैं। केंद्र सरकार ने पहले तीन चरणों के अनलॉक की प्रक्रिया में इसपर पाबंदी लगाई थी, लेकिन अब इसमें ढील देते हुए इन्हें खोलने का आदेश दे दिया। सरकार ने कहा कि बस गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन करने की आवश्यकता है।