हसन : प्रकृति का हर अंदाज निराला होता है। अनोखे प्राकृतिक दृश्य हमेशा से पर्यटकों के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं। कर्नाटक के हसन जिले में साकलेशपुर स्थित बिसाइल घाट का एक रिज प्वाइंट भी ऐसा ही है, जो पर्यटकों को अनयास ही अपनी ओर आकर्षित करता है। आम तौर पर बारिश के पानी का ऐसा संतुलित बंटवारा कम ही देखने और सुनने को मिलता है, लेकिन यहां इंतजाम कुछ ऐसे हैं कि बारिश की बूंदें अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आधी-आधी बंट जाती है।
यहां जब भी बारिश होती है, रिज से बहकर पानी घाट की कई जलधाराओं में बह जाता है। ये जलधाराएं विभिन्न नदियों से जुड़ी होती हैं, जहां से होते हुए बारिश की बूंदें अंतत: पश्चिम में अरब सागर और पूरब में बंगाल की खाड़ी में जा गिरती हैं। मनकानहल्ली में बिसाइल घाट के रास्ते में एक जगह पत्थर के स्लैब को देखकर सब समझ आ जाता है, जहां पत्थर पर उत्कीर्ण 'अरब सागर' और 'बंगाल की खाड़ी', दो समुद्रों में पानी के प्रवाह की दिशा को दर्शाता है।
ब्रिटिश अधिकारियों ने यह फैसला किया था कि बिसाइल घाट पर मनकानहल्ली में जो रिज प्वाइंट है, वह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के बीच पानी के प्रवाह बांटने वाला होगा। इसी रिज से पश्चिम की ओर बहने वाला वर्षा जल कुमारधारा नदी में मिल जाता है, जो कुक्के सुब्रमण्य के तीर्थस्थल से बहते हुए नेत्रवती नदी के साथ मिलकर अरब सागर में मिल जाता है। वहीं, रिज से जो पानी पूरब में बहता है, वह पूरब में कावेरी नदी की एक सहायक नदी हेमवती से जुड़ता है और तमलिनाडु से होते हुए अंतत: बंगाल की खाड़ी में जा मिलता है।
इस तरह के रिज पॉइंट पश्चिमी घाट के पहाड़ी क्षेत्रों में देखे जाते हैं, जो पश्चिम या पूर्व की ओर बहने वाली नदियों में पानी के प्रवाह को निर्धारित करते हैं। ऐसा ही एक रिज पॉइंट मुदिगेरे के कलासा में है जहां पानी अलग-अलग श्रृंगेरी और मुदिगेरे में बहता है। कावेरी नीरावरी निगम के एक अधिकारी के मुताबिक, इसी तरह मदिकेरी के पुष्पगिरी पहाड़ियों से बहने वाला पानी दो भागों में बंट जाता है, जो कावेरी और दूसरी कुमारधारा नदी में जाता है।
बिसाइल घाट जाने वाले पर्यटक आम तौर पर मनकानहल्ली में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के बीच बारिश के पानी के प्राकृतिक वितरण को लेकर अनजान होते हैं, जब तक कि वे हसन, मदिकेरी और डीके के तिराहे पर नहीं पहुंचते। इस स्थान से पहाड़ों का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।