नई दिल्ली. 14 जनवरी को देश के अलग-अलग हिस्सों में मकर सक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन जहां तिल का दान किया जाता है। वहीं, मकर सक्रांति बिना पतंग के पूरी नहीं हो सकती है।
पतंग उड़ाने के पीछे कोई धार्मिक मान्यताएं और पक्ष नहीं है। लेकिन, फिर भी तए इस दिन पतंग उड़ाना अच्छा माना जाता है। पतंग उड़ाने के बहाने शरीर धूप के संपर्क में आ जाता है।
पंजाब में इस साल दिलजीत दोसांझ और कंगना रनौत के डिजाइन की पतंगों का क्रेज बढ़ रहा है। इसके अलावा हैप्पी न्यू ईयर-2021, चीनी उत्पादों का बहिष्कार करें, आत्मनिर्भर भारत, कोरोना से बचे शब्दों के साथ भी पतंगें देखने को मिल रहीं हैं।
ईको फ्रेंडली पतंग
पतंग के कारण कई बार पक्षियों की जान चली जाती है। इसको ध्यान में रखते हुए सूरत के इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइनिंग एंड टेक्नोलॉजी ने ईको फ्रेंडली पतंग को डिजायन किया है। पतंग में उल्लू और चील की तस्वीरें के साथ पतंग बनाई गई हैं।
एएनआई से बातचीत में आरुषी उप्रेति ने कहा कि, 'मेरी रिसर्च से पता चलता है कि ज्यादातर पक्षी, उल्लू और चील से डरते हैं। इसके साथ ही लाल रंग, लहसुन और पुदीने की गंध से दूर रहते हैं। इस कारण लहसुन और पुदीना का पेस्ट लगाया है।
मकर सक्रांति के कई नाम
मकर सक्रांति को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। दक्षिण भारत में इसे पोंगल , गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण के नाम से जाना जाता है।
हरियाणा और पंजाब में मकर संक्रांति को माघी और उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में इस त्योहार को 'खिचड़ी' के नाम से जाना जाता है।