Rampur Nawab History in Hindi: उत्तर प्रदेश का रामपुर जिला नवाबों के नाम से मशहूर है। बरेली और मुरादाबाद के बीच ये शहर बेहद ख़ूबसूरत और ऐतिहासिक है नवाबों का महल। इस शहर का इतिहास से एक रिश्ता बताता है। साथ ही रामपुर के लोगों का राजनीति में भी ख़ासा दबदबा रहा है। चाहे वो देश की राजनीति हो या प्रदेश की। यहाँ के लोग अपनी राजनैतिक ताक़त को लेकर चर्चा में रहे हैं ।
मुरादाबाद से बरेली जाते हुए बीच में महल की तरह बना हुआ एक रेलवे स्टेशन आता है वो रामपुर ही है। रामपुर शहर की नींव नबाब फ़ैज़उल्लाह खान ने रखी थी। बताया जाता है की उनका जन्म 1733 में आंवला में हुआ था। 1774 से लेकर 1794 तक नबाब फ़ैज़उल्लाह खान ने इस इलाके पर शासन किया। रामपुर के नवाब अपने शाही अन्दाज के लिए जाने जाते थे। अपना शानदार महल, निजी रेलवे स्टेशन और देश का पहला महल जो पूरा AC था।
रामपुर शहर के आसपास आपको ऐसी कई इमारतें मिल जाएंगी जो ऐतिहासिक हैं। इन इमारतों को रामपुर के नवाब ने बनवाया था। रामपुर के नवाब बेशुमार दौलत के लिए भी जाने जाते थे। यही वजह है कि आज परिवार के वंशज आपस में अपनी संपत्ति को लेकर लड़ रहे हैं और इसका मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में चला।
रामपुर के अंदर एक बेहतरीन खूबसूरत कोठी है जिसको कोठी खास बाग भी कहा जाता है। सैकड़ों एकड़ में फैली यह कोठी इतनी बड़ी मानी जाती है कि इसमें छोटा-मोटा शहर बस सकता है। इस कोठी में आप शानदार कारीगरी देख सकते हैं। उस जमाने में किस तरह से इस कोठी को आधुनिक तरीके से बनाया गया है। यह दर्शाता है कि नवाब खानदान के लोग शानो शौकत पर कितना पैसा खर्च करते थे।
कोठी खास बाग का निर्माण 1930 नवाब हामिद अली ख़ान ने करवाया था। 400 से भी अधिक एकड़ में फैली यह कोठी अपनी खूबसूरती के लिए एक मिसाल बनी हुई है लेकिन आजकल यहां पर बड़े-बड़े पेड़ पौधे और घास ने कब्जा जमा रखा है। परिवारिक विवाद के बाद यह कोठी अब अपने पुराने दिन को तरस रही है और उम्मीद कर रही है कि जल्द संपत्ति विवाद खत्म हो और एक बार फिर रौनक वापस लौटे।
कोठी के मुख्य द्वार पर खूबसूरत गुंबद बने हुए हैं। कोठी के अंदर बेशकीमती झूमर लटके हुए हैं जो बताए जाते हैं कि बेल्जियम गिलास के विशेष तौर पर विदेश से लाए गए थे। कोठी के अंदर बड़े-बड़े हॉल बने हुए हैं जो बताए जाते हैं कि मेहमानों के ठहरने के लिए विशेष तौर पर बनाए गए थे।
इस खूबसूरत कोठी को देश की पहली वातानुकूलित कोठी भी कहा जाता है। उस वक्त में स्कूटी के अंदर एक बड़ा बर्फ खाना बनाया गया था और पंखे के माध्यम से ठंडी हवा को अलग-अलग कमरों में पहुंचाया जाता था।
रामपुर शहर के अंदर का पुस्तकालय यानी कि रजा लाइब्रेरी भी एक अपनी खास अहमियत रखती है। इतिहास के पन्नों में दर्ज आज भी रजा लाइब्रेरी देश-विदेश के सैलानियों के लिए एक पहचान बनी हुई है। दूर-दूर से लोग इंडो इस्लामिक कल्चर कि यह प्रतीक लाइब्रेरी को देखने रामपुर आते हैं और इतिहास से जुड़ी कई सामग्रियां यहां पर मौजूद हैं जो इतिहास के अंदर एक विशेष महत्व रखती हैं। नवाब फैज उल्ला खान की शिक्षा को लेकर एक विशेष रूचि थी। यही कारण है कि इस लाइब्रेरी की स्थापना की गई थी!
इस पुस्तकालय के अंदर 30000 से भी अधिक किताबें पत्रिकाएं और अन्य सामग्री मौजूद हैं। अब यह पुस्तकालय भारत सरकार चलाती है। देखभाल रखरखाव का सारा जिम्मा सरकार के अधिकारी ही करते हैं। माना कि जाता है कि दक्षिणी एशिया के सबसे प्रसिद्ध और एक बड़े पुस्तकालय के रूप में रजा लाइब्रेरी अपनी एक विशेष पहचान रखती है। खूबसूरत बिल्डिंग इस पुस्तकालय की खूबसूरती को और चार चांद लगा देती है।