Lip shayari in hindi: मोहब्बत की बात होती है तो दिल के साथ-साथ होठों का जिक्र आ ही जाता है। मोहब्बत बयां करने वाले होठों का जिक्र करना नहीं भूलते हैं। तमाम शायरों ने मोहब्बत की शायरियां लिखी हैं जिनमें होठों की बात की गई है। आइये एक नजर डालते हैं ऐसी है शायरियों पर।
मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हें बतला रहा हूँ मैं,
कोई लब छू गया था तब कि अब तक गा रहा हूँ मैं
- कुमार विश्वास
मैं इक फकीर के होंठों की मुस्कुराहट हूँ
किसी से भी मेरी कीमत अदा नहीं होती
- मुनव्वर राना
तुझ सा कोई जहान में नाज़ुक-बदन कहाँ
ये पंखुड़ी से होंठ ये गुल सा बदन कहाँ
– माधव राम जौहर
कल रात ज़िन्दगी से मुलाक़ात हो गई,
लब थर-थरा रहे थे मगर बात हो गई!
- शकील बदायुंनी
न आए लब पे तो काग़ज़ पे लिख दिया जाए
किसी ख़याल को मायूस क्यों किया जाए
– अक़ील नोमानी
आँख में पानी रखो होंठों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
- राहत इंदौरी
मेरे होठों पे अपनी प्यास रख दो और फिर सोचो
कि इस के बाद भी दुनिया में कुछ पाना ज़रूरी है।
- वसीम बरेलवी
बुझे लबों पे है बोसों की राख बिखरी हुई
मैं इस बहार में ये राख भी उड़ा दूँगा
- साक़ी फ़ारुक़ी
कितने शीरीं हैं तेरे लब कि रक़ीब
गालियाँ खा के बेमज़ा न हुआ
- मिर्ज़ा ग़ालिब
नाज़ुकी उस के लब की क्या कहिए
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है
- मीर तक़ी मीर
सिर्फ़ उस के होंठ काग़ज़ पर बना देता हूँ मैं
ख़ुद बना लेती है होंठों पर हँसी अपनी जगह
- अनवर शऊर
उस के होंठों पे रख के होंठ अपने
बात ही हम तमाम कर रहे हैं
- जौन एलिया