अगर आप कुदरती नजारों का तसल्ली से मजा लेना चाहते हैं तो आपको एक बार टॉय ट्रेन का सफर अवश्य करना चाहिए। इस दौरान आप खूबसूरत वादियों और अंधेरी पतली सुरंगो से गुजरते हुए घने जंगलों और पहाड़ों के मनोरम दृश्य का आनंद ले सकते हैं। टॉय ट्रेन की यात्रा बच्चों से लेकर बड़ो सभी को आकर्षित करती है। खासकर बच्चे टॉय ट्रेन में यात्रा करने के लिए बेहद खुश और उत्साहित होते हैं।
ऐसे में यदि आप परिवार के साथ कहीं घूमने की योजना बना रहे हैं तो इन स्थानों पर अवश्य जाएं। जहां पर आप घूमने फिरने के साथ टॉय ट्रेन का भी मजा ले सकते हैं। आइए जानते हैं
1. कालका – शिमला हैरिटेज ट्रैक
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल कालका-शिमला रेल लाइन से हर कोई वाकिब होगा। यह टॉय ट्रेन शिमला तक पहुंचने का आसान जरिया है। इस टॉय ट्रेन के लिए ट्रैक को साल 1903 में ब्रिटिश शासन काल के दौरान तैयार किया गया था। अब यह शिमला आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। यह ट्रेन 96 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर चलती है और 20 स्टेशनों को कवर करती है। यात्रा के दौरान आप खूबसूरत हसीन वादियों के मनोरम दृश्य को देखते हुए अंधेरी पतली सुरंगो से गुजरते हुए घने जंगलों और पहाड़ों के मनोरम दृश्य का आनंद ले सकते हैं। अपने पूरे सफर में यह ट्रेन 103 सुरंगों से गुजरते हुए 5 घंटे में शिमला का रास्ता तय करती है।
2. दार्जिलिंग-हिमालयन रेलवे
दार्जिलिंग हिंदुस्तान के सबसे खूबसूरत हिस्सों में से एक है। गर्मी हो या सर्दी का मौसम - यहां की खूबसूरती हर मौसम में देखने लायक होती है। यदि आप दार्जलिंग में ट्रिप पर जाने की योजना बना रहे हैं तो टॉय ट्रेन को अपने ट्रिप में शामिल करना ना भूलें। यहां पर आप दार्जलिंग से हिमालय रेलवे तक की यात्रा तय कर सकते हैं। जिसे डीएचआर भी कहा जाता है। यह महज दो फिट चौड़ी है। इस दौरान आप घुमावादार ट्रैक का मजा ले सकते है। आपको बता दें इस ट्रैक का निर्माण अंग्रेजों ने साल 1879 से 1881 के बीच कराया था। इस समय वह दार्जिलिंग छुट्टी मानाने के लिए जाया करते थे।
3. नरेल – माथेरन टॉय ट्रेन
माथेरन महाराष्ट्र में स्थित एक छोटा हिल स्टेशन है। लेकिन यह अपनी खूबसूरती से पर्यटों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह करीब 2650 किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित है। नरेल से माथेरन के बीच टॉय ट्रेन के जरिए हिल टॉप का सफर काफी रोमांचक होता है। इस रेल मार्ग पर करीब 121 छोटे छोटे पुल और करीब 221 मोड़ आते हैं। इस मार्ग पर चलने वाली ट्रेन की स्पीड 20 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा नहीं होती। नरेल से माथेरन की यात्रा के दौरान आप खूबसूरत नजारे का आनंद ले सकते हैं। माथेरन करीब 805 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मार्ग का सबसे ऊंचा हिल स्टेशन है।
4. नीलगिरी माउंटेन रेलवे
नीलगिरी माउंटेन रेलवे एक सिंगल रेलवे ट्रैक है। यह 46 किलोमीटर लंबा एक सिंगल ट्रैक है। जो कि मेट्टूपालयम शहर को उटकमंडलम शहर से जोड़ता है। इस 46 किलोमीटर के सफर में 208 मोड़, 16 टनल और 250 ब्रिज पड़ते हैं। यहां पर यात्रा के दौरान आप घने जंगलों और सुरंगों से होते हुए प्रकृति के खूबसूरत दृश्य का नजारा देख सकते हैं।
5. कांगड़ा वैली हिमाचल
कांगड़ा वैली रेलवे भारत की एक और हैरिटेज टॉय ट्रेन है। जो पठानकोट और जोगिंद्रनगर के बीच संकीर्ण गेज पर चलती है। यह ट्रेन यूनेस्को की वर्ल्ड गाइड है जो पालमपुर के कई पुलों और चाय बगानों से होकर गुजरती है। यह टॉय ट्रेन पठानकोट जंक्शन से होकर ज्वालामुखी रोड, कांगड़ा नगरोटा, पालमपुर, बैजनाथ से होकर जोगिंद्रनगर रूट पर चलती है।