फालूदा की है गजब कहानी, हजारों किलोमीटर का सफर कर पहुंचा भारत

लाइफस्टाइल
अबुज़र कमालुद्दीन
अबुज़र कमालुद्दीन | जूनियर रिपोर्टर
Updated Mar 24, 2021 | 15:53 IST

बदलते मौसम के साथ हमारा मिजाज भी बदलता है और खाने पीने की पसंद भी। कई ऐसे व्यंजन और मिठाइयाँ हैं जिन्हें हम आज तक भारतीय समझ कर खा रहे थे असल में वो हमारे देश की पारंपरिक मिठाई नहीं है।

 Sweet dish Faluda,What is the story of Faluda
फालूदा एक मीठा व्यंजन है जिसे बड़े चाव के साथ खाया जाता है।   |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • भारतीय व्यंजन नहीं है मिठास से भरा फालूदा
  • भारत में फालूदा को लाने में मुगलों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
  • फालूदा अब हमारे देश में कई फ्लेवर में उपलब्ध है

नई दिल्ली:  अब वो दिन दूर नहीं जब सिर के ऊपर आग उगलता सूरज होगा और नीचे तपती ज़मीन और हवा में गरमाहट का एहसास। हम तो बस यह कहना चाह रहे हैं कि गर्मी आ गईं हैं। तो इसकी तैयारियाँ भी शुरू हो जानी चाहिए। इस मौसम में खाने पीने की पसंद में भी बदलाव आते हैं। हम हॉट कॉफ़ी की जगह कुल्फी और फालूदा तलाशने लग जाते हैं। वैसे क्या आप जानते हैं कि फालूदा भारतीय व्यंजन नहीं है ?

यह भारत की पारंपरिक मिठाई नहीं है। हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यह हमारे देश पहुँचा है। देखिये, आया कहीं से भी हो पर स्वाद में तो लाजवाब लगता है। जब फालूदा के साथ रूह अफजा का फ्लेवर गले में उतरता है तो यह एहसास होता है जैसे गर्मियों के मौसम में ठंडे समंदर में गोते लगा रहे हों।

किस देश की देन है फालूदा ?

बात ऐसी है जिस देश की देन है फालूदा उस देश का नाम है ‘फारस’। चौंकिए मत ईरान का ही पुराना नाम फारस है। ईरान का एक बेहद खूबसूरत शहर है ‘शीराज’। यह फालूदा उसे शहर की देन है। वहां आज भी सैकड़ों साल पुरानी फालूदा की दुकानें हैं। लेकिन उस शहर में इसे ‘फालुदेह’ के नाम से जाना जाता है। ईरान में फालूदा का विशेष महत्त्व है। वहां के महत्वपूर्ण त्यौहार ‘जमशेदी नवरोज’ के मौके पर इसका इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि करीब 400 ईसा पूर्व से दुनिया वाले फालूदा का स्वाद चख रहे हैं।

भारत कैसे पहुंचा फालूदा ?

इसकी भी अपनी एक कहानी है। वैसे तो मुग़ल खाने पीने के बड़े शौकीन थे। जब भारत आए तो अपने साथ आधुनिक युद्धशैली के साथ-साथ कई तरह के व्यंजन लाए। इसे भारत लाने में सिर्फ मुगल बादशाहों का ही नहीं मुस्लिम व्यापारियों का भी योगदान है। 16 से 18वीं शताब्दी के बीच फालुदा भारत पहुँचा। ऐसा माना जाता है कि मुगल बादशाह जहांँगीर इसे भारत लेकर आया था। जहांँगीर को अलग-अलग तरह के व्यंजन खाने का बहुत शौक था। वहीं कई लोगों का यह भी मानना है कि नादिर शाह इसे भारत लेकर आया।

फालूदा बनाने में किन चीजों का होता है इस्तेमाल ?

अलग-अलग देशों में इसे बनाने के तरीके में थोड़ा फर्क जरूर है पर स्वाद हर जगह लाजवाब है। आमतौर पर इसे बनाने में गुलाब सिरप, सेवई, मीठी तुलसी के बीज, दूध के साथ जेली के टुकड़ों का इस्तेमाल होता है। अगर आपने इसे बनाने में महारत हासिल कर ली है तो लगभग एक घंटे में आप स्वादिष्ट फालूदा तैयार कर सकते हैं। कई जगहों पर इसे अलग-अलग फ्लेवर में भी बनाया जाता है।

बेहतरीन फालूदा है खाना तो यहां जरूर जाएं

गयानी दी हट्टी फलूदे वाले, फतेहपुरी (दिल्ली-6)
दिल्ली-6 अपने स्वाद के लिए मशहूर है। यहां जितने ऐतिहासिक स्थल हैं उससे कहीं ज्यादा खाने पीने की जगह हैं। अगर आपको गुलाब और रबड़ी फ्लेवर में दुनिया का बेहतरीन फालूदा खाना है तो आपको गयानी दी हट्टी जरूर जाना चाहिए।

रोशन दी कुल्फी, करोल बाग (दिल्ली)
करोल बाग की व्यस्त मार्केट के बीच है रोशन दी कुल्फी। यह दिल्ली की सबसे पुरानी कुल्फी की दुकानों में से एक है। रोशन दी कुल्फी ने कामयाबी के साथ अपने पचास साल पूरे कर लिए हैं। यहाँ आप बेहतरीन मैंगो और रॉयल कुल्फी का मजा ले सकते हैं।

प्रकाश कुल्फी, लखनऊ
अगर आप नवाबों के शहर लखनऊ में हैं और आपने प्रकाश की कुल्फी फालूदा नहीं खाई तो आपका सफर अधूरा रह जाएगा। अमीनाबाद चौराहे पर स्थित यह दुकान अपने केसर कुल्फी फालूदा के लिए मशहूर है। आप यहांँ बटरस्कॉच और चॉकलेट कुल्फी का स्वाद भी चख सकते हैं। उम्मीद है इन गर्मियों में आप जिस शहर में भी हैं उस शहर का बेहतरीन फालूदा जरूर खाएँगे।

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